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सरकार के पैकेज पर इस कद्दावर किसान नेता ने कही ये बड़ी बातें यह था मामला बीती दो अप्रैल को हुई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में मेरठ में जमकर हिंसा और आगजनी हुई थी। चारों ओर से आरक्षण के समर्थन में हिंसा का दोषी पूर्व विधायक योगेश वर्मा को पाया गया था। प्रशासन और सरकार की जांच में यह आया कि जो हिंसा हुई है, उसके पीछे योगेश वर्मा हैं और उन्होंने ही युवकों को हिंसा के लिए भड़काया था। हिंसा मामले में योगेश पर केस दर्ज करते हुए बसपा नेता को जेल भेज दिया था। जेल में बंद होने के बाद भी योगेश वर्मा की मुश्किलें कम नहीं हुई। हालांकि उनकी पत्नी और मेयर सुनीता वर्मा उनको जेल से बाहर निकालने के लिये काफी प्रयासरत हैं, लेकिन मेयर के सभी प्रयास विफल साबित हुए। प्रशासन ने योगेश पर रासुका लगाने की संस्तुति करते हुए फाइल लखनऊ भेजी थी। जिस पर शासन से रासुका लगाने की सहमति पर मोहर लगा दी गई। इसके बाद सुनीता वर्मा ने एडवाइजरी बोर्ड के सामने अपना पक्ष रखने की बात कही।
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युवक की नौकरी को लेकर टूटा था रिश्ता, कोर्ट मैरिज के बाद बेटी ने अपने परिजनों के खिलाफ की यह शिकायत एडवाइजरी बोर्ड ने सुना दोनों पक्षों को एडवाइजरी बोर्ड ने भी दोनों पक्षों को सुनने के बाद रासुका की कार्रवाई को उचित बताया और उसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी। एडवाइजरी बोर्ड लखनऊ ने डीएम अनिल ढींगरा, एसएसपी राजेश कुमार पांडेय को उपस्थित होने को कहा था। बोर्ड ने पूर्व विधायक योगेश वर्मा को भी अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित होने को कहा था। एडवाइजरी बोर्ड के सामने योगेश वर्मा ने कहा कि वे निर्दोष हैं और उनको जानबूझकर फंसाया गया है। एसएसपी ने वे तमाम सबूत पेश किए जिनमें योगेश वर्मा की संलिप्तता दंगा कराने में सिद्ध होती है। इसमें योगेश के मोबाइल की लोकेशन और सीडी भी शामिल थी। इस सब सबूतों के आधार पर योगेश पर रासुका की कार्रवाई को उचित ठहराया गया।