scriptPremanand Maharaj: आखिर क्यों प्रेमानंद महाराज को तोड़ना पड़ा अपना ही बनाया नियम? जानें कौन बना कारण | Premanand Maharaj could not follow the strict rules he made himself! Know why? | Patrika News
मथुरा

Premanand Maharaj: आखिर क्यों प्रेमानंद महाराज को तोड़ना पड़ा अपना ही बनाया नियम? जानें कौन बना कारण

प्रेमानंद महाराज अपनी कड़ी साधना और तपस्या के लिए जाने जाते हैं। उनको एक झलक देखने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। अपने एक वीडियो में प्रेमानंद महाराज ने अपने बनाए तीन नियमों की बात की है जिसमें उनको एक नियम तोड़ना पड़ गया था।

मथुराJan 06, 2025 / 04:08 pm

Prateek Pandey

Premanand Maharaj
Premanand Maharaj: आप सभी ने प्रेमानंद महाराज को कभी ना कभी तो सुना ही होगा। उनके दिए गए प्रवचन लाखों लोग सुनते हैं और अनुसरण भी करते हैं। आज हम आपको प्रेमानंद महाराज के लिए गए तीन नियम बताएंगें जिसमें से एक नियम उनको परमार्थ के लिए तोड़ना पड़ गया था।

क्या थे प्रेमानंद महाराज के वो तीन नियम

प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने तीन नियम लिए थे। पहला पैसे अपने पास नहीं रखेंगें, दूसरा राजकीय विभाग में कभी नाम नहीं आने देंगे और तीसरा नियम शिष्य ना बनाने का लिया था। लेकिन उनको अपना एक नियम तोड़ना पड़ गया।
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प्रेमानंद महाराज एक वीडियो में बताते हैं, ‘मैंने तीन नियम लिए जीवन में कि पहला कभी पैसा अपने पास नहीं रखूंगा। दूसरा राजकीय विभाग में कभी हमारा नाम नहीं होगा। तीसरा कभी जिंदगी में शिष्य नहीं बनाऊंगा। एक नियम टूट गया, गुरु आज्ञा का यानी शिष्य बनाना’।
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प्रेमानंद महाराज ने तीसरा नियम लिया था कि वो कभी शिष्य नहीं बनाएंगे लेकिन उनको ये नियम तोड़ना पड़ा। लोगों के हित को और उनको सही दिशा में लाने के लिए उन्होंने इस नियम को तोड़ा।

शिष्य करते हैं प्रेमानंद महाराज की सारी व्यवस्था

महाराज ने बताया, ‘आज तक हमारे पास एक पैसा नहीं एक हमारे नाम कोई जमीन नहीं। कहीं भी राजकीय विभाग में कहीं भी कुछ नहीं है। सत्संग किया ऐसे किया कि जो आया दे गया। ना हमारा कोई हिसाब से मतलब है ना हमारा कोई लेने देन से। जहां हम रह रहे हैं वो एक शिष्य का फ्लैट है। वही आज भी खर्चा चलाता रहा है पूरा उसका। इसमें हम केवल रह रहे हैं। जो गाड़ी है वो आने जाने के लिए दो तीन शिष्यों की है जिसमें बैठे चले आए। ना हमारा गाड़ी ना रुपया ना पैसा’।

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