हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल एक तरफ तो हिंदू मुस्लिम के बीच नफरत की खाई खोजने में कुछ लोग लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ भगवान श्री कृष्ण योगीराज की नगरी में हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर रहीम नटवर नागर के लिए पोशाक तैयार करता है। तो एक मुस्लिम परिवार छोटे खां बड़े चाव से रावण और अन्य के पुतले बनाता है। और उसे सजाता और संवरता है। और उसी के खर्च से अपना और अपने परिवार को पेट पालता है। छोटे खां एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार-चार पीढ़ियों से रावण के पुतले दशहरा के लिए तैयार करते हैं।
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भदोही में दुर्गा पूजा पंडाल के विकराल आग में सब कुछ हुआ राख पर मां दुर्गा की प्रतिमा मुस्कुराती मिलीं रामलीला मैदान में रहकर बनाते हैं रावण यह पूछने पर कि पुतले बनाने की बेजोड़ कारीगरी कब से शुरू की जाती है तो छोटे खां तपाक से उत्तर देते हैं कि, रामलीला से डेढ़ महीने पहले हम लोग काम शुरू कर देते हैं। महाविद्या के रामलीला मैदान में पूरा परिवार पुतले बनाने के दरमियान रहता है। पुतले बनाने का कार्य पूरा होने पर परिवार के सभी सदस्य मथुरा के भरतपुर गेट स्थित अपने आवास पर पहुंच जाते हैं। छोटे खां ने बताया कि, पुतले बनाने के लिए 9 लोग अलग-अलग काम करते हैं। सभी लोगों को अलग-अलग काम बांट दिया गया है। सुबह 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक हम लोग पुतले तैयार करने में जुटे रहते हैं।
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भदोही में दुर्गा पूजा पंडाल में भीषण आग से पांच की मौत, 67 झुलसे डेढ़ लाख रुपए आती है लागत छोटे खां ने बताया कि, रामलीला के लिए तैयार किए जा रहे रावण, अहिरावण, मेघनाथ, सुलोचना और तारिका के पुतले बनाने के लिए करीब डेढ़ लाख रुपए की धनराशि खर्च होती है। हमारी मजदूरी सब काट पीट कर 40 से 50 हजार निकल आती है। डेढ़ महीने के काम में जो आनंद बनाने में आता है उसका हम बखान नहीं कर सकते। हम सौभाग्यशाली हैं कि रावण और उसके परिवार के पुतलों को बना रहे हैं।
70 फ़ीट उंचा होगा रावण मौके पर मौजूद पुतला कारीगरों ने बताया कि, इस बार 70 फ़ीट रावण, 60 अहिरावण, 15 फ़ीट मेघनाथ के शीश की ऊंचाई होगी। सुलोचना और तारिका के पुतलों की भी ऊंचाई अलग-अलग रखी जाएगी।
स्वचालित होंगे पुतले छोटे खां ने बताया कि, इस बार के पुतलों में खासियत है। इस बार जो पुतले तैयार किए जा रहे हैं, वह स्वचालित हैं। रावण का मुंह हंसते हुए लोगों को दिखाई देगा।
रावण का पुतला जलने से दुखी हो जाते हैं छोटे खां रावण और उसके परिवार का पुतला बना रहे छोटे खां से टीम ने बताया कि, डेढ़ महीने की कड़ी मेहनत के बाद हम इन पुतलों को तैयार करते हैं। सजाते संवारते हैं। रामलीला के मंचन के दिन जब इन पुतलों को जलाया जाता है, तो मन में पीड़ा होती है। अपने हाथों से बनाए हुए रावण, अहिरावण, मेघनाथ के पुतलों को हम लोग अपनी आंखों के सामने ही जलते हुए देखते हैं।