उसने कोर्ट में शपथपत्र में दावा किया था कि उसका जन्म जे. जयललिता और तेलुगू फिल्म अभिनेता सोहन बाबू से हुआ। उसने कई दस्तावेज हाईकोर्ट को दिए जिसमें गोद लेने का संविदा पत्र भी था। कृष्णमूर्ति ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे जयललिता का पुत्र घोषित किया जाए ताकि उसे पोएस गार्डन स्थित उनके आवास समेत अन्य सम्पत्तियों पर मालिकाना हक नसीब हो।
कृष्णमूर्ति ने हाईकोर्ट से यह भी निवेदन किया था कि पुलिस महानिदेशक को निर्देश देकर उनको सुरक्षा मुहैया कराई जाए क्योंकि उनको जयललिता की नजदीकी और एआईएडीएमके महासचिव वी. के. शशिकला के परिजनों से खतरा है।
कोर्ट रजिस्ट्री ने एक सप्ताह तक इस मामले को संख्या नहीं दी थी। आखिरकार यह याचिका शुक्रवार को जज के सामने आई ताकि इसकी वैधता का निर्धारण किया जा सके। न्यायाधीश महादेवन ने कहा कि पेश किए गए दस्तावेज पूरी तरह जाली हैं। अगर ये कागजात एलकेजी के छात्र के सामने भी रखे जाते तो वह भी इनको फर्जी बता देता। आपने पब्लिक डोमेन से फोटो उठाकर यहां चस्पा की है। आपको क्या लगता है कोई भी आकर जनहित याचिका लगा सकता है? इस व्यक्ति ने कागजात से छेड़छाड़ की है। कहां है असली कागजात?
पुलिस आयुक्त करें कागजात का सत्यापन जज ने कृष्णमूर्ति से कहा कि वह चेन्नई सिटी पुलिस कमिश्नर के सामने शनिवार को पेश हो और असली दस्तावेज देकर सत्यापन कराए। उन्होंने चेताया, कोर्ट के साथ मत खेलो। जज ने अपर लोक अभियोजक एमिलियास को निर्देश दिया कि वे पेश किए गए दस्तावेजों की प्रामाणिकता जांचें। उनको पुलिस आयुक्त के समक्ष रखा जाए। पुलिस आयुक्त को इन कागजातों का सत्यापन करने दिया जाए।
रामास्वामी से सवाल जज ने ट्रेफिक के. आर. रामास्वामी जो याची के संग थे से पूछा, क्या आपने कागजात देखे थे? आपकी इसमें क्या भूमिका है। आपने तो कई अच्छी पीआईएल लगाई हैं। याची का दावा है कि उसका जन्म 1985 में हुआ। एक साल बाद उसे ईरोड की वसंतमणि को गोद दे दिया गया जो 80 के दशक में स्व. एमजीआर के घर काम करती थी।
कृष्णमूर्ति के अनुसार गोद देने की संविदा पर जयललिता और सोहन बाबू का फोटो व दस्तखत हैं जबकि इस संविदा में साक्ष्य के रूप में एमजीआर ने दस्तखत किए। जज का इस पर कटाक्ष था कि उस वक्त एमजीआर हाथ हिलाने की स्थिति में भी नहीं थे, लेकिन दस्तावेज के अनुसार उन्होंने दस्तखत किए हैं जिस पर यकीन नहीं किया जा सकता।