आम जनता पर पड़ रही महंगाई की मार
प्याज की बढ़ती कीमतों से सभी लोग परेशान है और इसका सबसे ज्यादा असर प्याज के कारोबारियों पर पड़ रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने निर्यात पर दी जा रही 10 फीसदी सब्सिडी को बंद करने का फैसला किया है। कीमतों में बढ़ोतरी होने से कम आय वाले लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है क्योंकि जिस प्याज के लिए पहले वो लोग 8 से 10 रुपए दे रहे थे आज उसी प्याज को खरीदने के लिए उनको 15 रुपए तक देने पड़ रहे हैं। वहीं, इस पर सरकार का विचार है कि सब्सिडी कम करने के फैसले से प्याज की कीमतों में गिरावट आएगी और आम जनता को परेशना नहीं होना पड़ेगा।
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DGFT ने दी जानकारी
9 जून को जारी एक सार्वजनिक सूचना में विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने कहा कि वह ताजा और कोल्ड स्टोरेज की प्याज के निर्यात के लिए दिए जाने वाले लाभों को समाप्त कर रहे है। इसमें कहा गया है प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
देश की सबसे बड़ी मंडी में परेशान कारोबारी
प्याज की कीमतों में भाव की बात करें तो प्याज के कारोबार के लिए देशभर में सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में मंगलवार को औसत भाव 1330 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया जो लगभग 8 महीने में सबसे ज्यादा भाव है। पिछले 1 महीने के दौरान लासलगांव में प्याज के भाव में लगभग 48 फीसदी का उछाल आया है, 10 मई को लासलगांव मंडी में प्याज का औसत भाव 901 रुपए प्रति क्विंटल था।
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प्याज पर पड़ रही मौसम की मार
आपको बता दें कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं, जिसके कारण भी प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। अनुमान के अनुसार, जून में समाप्त होने वाले चालू 2018-19 फसल वर्ष में प्याज उत्पादन मामूली रूप में थोड़ा अधिक यानी दो करोड़ 36.2 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2017-18 में यह उत्पादन दो करोड़ 32.6 लाख टन का हुआ था।
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