एचडीएफसी ने दिया बयान
एचडीएफसी ने बयान में कहा कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 11,586.58 करोड़ रुपए रही जो कि इससे एक साल पहले मार्च तिमाही में 9,322.36 करोड़ रुपए थी। तिमाही के दौरान एचडीएफसी की ब्याज से शुद्ध आय सुधरकर 3,161 करोड़ रुपए रही है। इसकी तुलना में एक साल पहले इसी तिमाही में यह आंकड़ा 2,650 करोड़ रुपए था। इसमें 19 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
डिविडेंड देने का किया ऐलान
कंपनी के निदेशक मंडल ने 17.50 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से अंतिम लाभांश देने का प्रस्ताव किया है। यह साढे तीन रुपए प्रति शेयर के अंतरिम लाभांश से अलग है। इस तरह कंपनी ने 2018-19 के लिए कुल 21 रुपए का लाभांश दिया जबकि 2017-18 में उसे 20 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से लाभांश दिया था। इसके अलावा निदेशक मंडल ने कारोबार वृद्धि के वित्त पोषण के लिए निजी नियोजन के आधार पर 1.25 लाख करोड़ रुपए तक के भुनाने योग्य गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर या अन्य साधन जारी करने की भी अनुमति दी है। ये इक्विटी शेयर के रूप में नहीं होंगे।
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HDFC का बढ़ा मुनाफा
कंपनी ने नसीर मुंजी और जेजे ईरानी को फिर से स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त करने की भी मंजूरी दे दी है। पूरे वित्त वर्ष 2018-19 के लिए एचडीएफसी ( HDFC ) का शुद् लाभ 12 फीसदी गिरकर 9,632.46 करोड़ रुपए रह गया। 2017-18 में उसे 10,959.34 करोड़ रुपए का लाभ हुआ था। एकीकृत आधार पर, कंपनी का शुद्ध मुनाफा 2017-18 में 13,111.21 करोड़ रुपए से बढ़कर 2018-19 में 17,580.51 करोड़ रुपए रहा।
कंपनी ने जारी किए आंकड़ें
कंपनी ने कहा कि 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष के शुद्ध लाभ के आंकड़ों की तुलना 2017-18 के आंकड़ों से नहीं की जा सकती है। इसकी वजह 2017-18 में कंपनी का एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के आईपीओ में शेयरों की बिक्री करना रही। कंपनी की एकीकृत शुद्ध आय 2018-19 में सुधर कर 96,194.87 करोड़ रुपए रही, जो कि 2017-18 में 79,819.60 करोड़ रुपए थी। पूरे वित्त वर्ष के लिए उसकी ब्याज से शुद्ध आय बढ़कर 11,403 करोड़ रुपए रही।
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कंपनी को हुआ मुनाफा
इसकी तुलना में 2017-18 में उसे 9,635 करोड़ रुपये की आय हुई थी। इस दौरान 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। एचडीएफसी ने परिसंपत्ति गुणवत्ता के संबंध में कहा, उसका सकल गैर-निष्पादित कर्ज 31 मार्च 2019 तक 4,777 करोड़ रुपए रहा, यह उसके ऋण पोर्टफोलियो के 1.18 फीसदी के बराबर है।