जमीन पर लोटते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा किसान, गरमाई राज्य की सियासत, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
farmer protest : जमीन से जुड़े मामले में एक बुजुर्ग किसान बीते 14 साल से न्याय ती गुहार लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ सरकारी कर्मचारी पर फर्जी तरह से जमीन हथियाने का भी आरोप लगाया है।
farmer protest : मध्य प्रदेश के मंदसौर कलेक्ट्रेट से शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। बीते 14 वर्षों से न्याय की गुहार लगा रहे बुजुर्ग किसान को आखिरकार अपनी बात जिम्मेदारों तक पहुंचाने के लिए कुछ ऐसा तरीका निकालना पड़ा, जिसे देख हर कोई हैरान रह गया। न्याय की आस में 14 साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने के बाद परेशान आकर कलेक्टर जनसुनवाई दफ्तर में जमीन पर लोटते हुए आवेदन लेकर पहुंचा।
दरअसल, साकतली के बुजुर्ग जमीन मामले में 14 सालों तक सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने के बाद भी सुनवाई नहीं होने से परेशान थे। उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ सरकारी कर्मचारी पर फर्जी तरह से जमीन हथियाने का भी आरोप लगाया है।
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कलेक्ट्रेट परिसर में हर कोई हैरान
जिले के अंतर्गत आने वाले सीतामऊ इलाके के ग्राम साखतली में रहने वाले किसान शंकरलाल पिता फूलचंद मंगलवार को लोटकर जनसुनवाई में पहुंचे थे। इसका एक वीडियो भी सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है। किसान शंकरलाल का कहना है कि वो 2010 से अपनी जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसे लेकर वो जनसुनवाई में 25 बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अबतक उनकी सुनवाई नहीं हुई है। यही नहीं वे राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन वहां से भी उन्हें अबतक कोई जवाब नहीं मिला है। आखिरकार परेशान आकर उन्होंने जमीन पर लेटकर परिक्रमा शुरू की है।
मामले ने उस समय प्रदेश स्तरीय तूल पकड़ लिया, जब इस घटना क्रम का एक वीडियो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक वीडियो शेयर करते हुए सिस्टम पर सवाल खड़े किए। पीसीसी चीफ पटवारी ने लिखा, ‘क्या मंदसौर के किसानों से मध्य प्रदेश सत्ता की दुश्मनी कभी खत्म ही नहीं होगी? मुआवजा को लेकर भटकने से शुरू हुई छोटी-छोटी समस्या, अगर सीने पर गोली खाने तक पहुंच सकती है तो बीजेपी किसानों को प्रताड़ित करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है!
डॉ मोहन यादव जी, कृषि क्रमण अवार्ड दिलाने वाले किसानों के सामने पूरी सरकार को दंडवत रहना चाहिए। परंतु बेबस किसान को अपनी जायज मांग जिम्मेदारों के सामने रखने के लिए लुढ़कना पड़ रहा है। ऐसी सरकार और उसकी पूरी व्यवस्था को धिक्कार है। तुरंत पीड़ित की सुनवाई करें। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
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