हमारे पास क्या है, इससे कहीं ज्यादा हमारा ध्यान इस पर रहता है कि हमारे पास क्या नहीं है। जबकि हमारे जीवन में अच्छी चीजें अनगिनत हैं। हम कमियों के बारे में सोच कर परेशान होते रहते हैं। अगर हम अपनी नियामतों पर ध्यान केंद्रित करें और उनके प्रति शुक्रगुजार रहें तो ज्यादा अच्छा महसूस करेंगे। सकारात्मक सोचना जरूरी है। ऐसे बड़ी-से-बड़ी मुश्किल को भी बेहतर तरीके से हल कर सकते हैं। किसी व्यक्ति से मदद मिलने पर उसे शुक्रिया कहना कभी मत भूलें। शुक्रगुजार महसूस करें और शुक्रिया अदा करते रहें।
माना कि आज के दौर में मोबाइल फोन बहुत जरूरी है, मगर क्या इतना जरूरी है कि हम इसके बिना एक पल को भी न रह सकें? इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि स्मार्ट फोन का लगातार प्रयोग हम पर शारीरिक और मानसिक रूप से गलत प्रभाव भी डाल रहा है। अगर हम इसका उपयोग सीमित कर दें तो यह प्रभाव कम हो सकता है। एकदम से नहीं हो पा रहा तो रोज एक घंटा या कुछ मिनट फोन के बिना रहने की आदत डालें। उतने वक्त के लिए फोन साइलेंट या ऑफ कर दें। यह प्रण भी करें कि सोने से पहले फोन को खुद से दूर रख देंगे।
किसी की मदद करना इस बात का प्रतीक है कि हम एक अच्छे इंसान हैं। किसी को कुछ देने का मतलब हैं कि हम इतने काबिल हैं कि किसी को कुछ दे सकते हैं। जरूरी नहीं कि मदद बहुत बड़ी हो। अपने आसपास नजर डालिए, कितनी ही बार कितने ही लोगों को छोटी-छोटी मदद की जरूरत होती है। मदद करने का अवसर तलाशिए, मदद करिए। दूसरों को खुशियां देकर अपने जीवन में अर्थ भरिए।
मदद करना अच्छी बात है, मगर किसी की बात मानने के लिए अपना नुकसान नहीं कर लेना चाहिए। कई बार ‘न’ कहना भी जरूरी होता है। एकदम स्वार्थी होना भी ठीक नहीं और अगर आप मना करना नहीं जानते तो भी यह अच्छी बात नहीं। अगर आपको लगता है कि ‘न’ कहने से सामने वाले को बुरा लगेगा तो विनम्रता और तर्क के साथ अपनी बात रखें कि आप वह काम क्यों नहीं कर सकते। जीवन में आगे बढऩे के लिए यह जरूरी है। कभी किसी को अपना फायदा न उठाने दें।
किसी के लिए अगर हमारे मन में स्नेह या आभार की भावना है तो हमेशा उसे व्यक्त कर देना चाहिए। अगर किसी की कोई बात अच्छी लगती है तो कह दें। सोचिए, जब कोई हमारे साथ ऐसा करता है तो कितना अच्छा लगता है और हमारा उत्साह भी बढ़ता है। साथ ही सामने वाले के लिए मन में अच्छी भावना भी बढ़ जाती है। साथ ही कभी-कभी गुस्सा या नाराजगी व्यक्त करने से भी परहेज न करें। इससे मन हल्का रहता है।
कुछ न पढ़ते रहना एक अच्छी आदत है। इससे ज्ञान में बढ़ोतरी होती है और समय का सदुपयोग होता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और भाषा भी सुधरती है। किसी रोचक किताब से शुरुआत करिए। पढऩे के शौकीन अपने किसी दोस्त से सलाह मांगिए। एक बार आपमें यह आदत डल गई तो आप समझेंगे कि इसके फायदे ही फायदे हैं।
अगर आप भी उनमें से हैं जो केवल अपनी बात कहना चाहते हैं तो इस आदत में सुधार लाया जा सकता है। दूसरों को ध्यान व धैर्य के साथ सुनिए। इससे लोग आपको पसंद करते हैं। संबंध अच्छे होते हैं। नई जानकारी मिलती है। अच्छे श्रोता बनने की कोशिश करें।
मुस्कान में एक जादू होता है। यह लोगों को अपना बना लेती है, सुंदरता बढ़ाती है और हमें अच्छा महसूस कराती है। नए साल पर खुद से वादा करिए कि हम जितना भी मुस्कुराते हैं, हर रोज उससे कहीं ज्यादा मुस्कुराएंगे…।