ऐसा ही एक नाम है वीट्रैकर कंपनी के फाउंडर ऋषभ लवानिया का। दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले ऋषभ भी सिविल इंजीनियर बनकर अपने पिता के नक्शेकदम पर चलना चाहते थे, लेकिन शायद उनकी किस्मत में कुछ और ही था। वह 12वीं क्लास में फेल हो गए थे। यहां तक कि अक्सर वह गूगल पर यह सर्च किया करते थे ‘12वीं में फेल होने के बाद क्या बेहतर कॅरियर ऑप्शन हैं।’
17 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला स्टार्टअप इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘रेड कार्पेट’ लॉन्च किया। किसी को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि वे अपना कोई वेंचर शुरू कर पाएंगे। इसके बाद उन्होंने 2013 में लॉजिस्टिक स्टार्टअप ‘जस्टगेटइट’ शुरू किया। उन्हें 30 से ज्यादा विक्रेताओं और दुकानदारों के साथ भागीदारी करने का मौका मिला, लेकिन यह सिर्फ सात महीने ही चल पाया। अच्छे स्केल मॉडल और सही मैनेजमेंट नहीं होने के कारण उन्हें इसे बंद करना पड़ा। फिर 2015 में ऋषभ ने टेक एक्सपर्ट केशु दुबे के साथ मिलकर यूएस में ‘XELER8’ शुरू किया।
यह डील-सोर्सिंग और रिसर्च प्लेटफॉर्म था। उनका यह वेंचर सफल रहा। इसे एक अज्ञात राशि में जेडड्रीम्स वेंचर ने अपने अधिग्रहण में ले लिया। फिर विभिन्न परिदृश्यों को जानने के बाद ऋषभ ने अफ्रीकी तकनीकी पारिस्थितिकी को समझा और एक नया स्टार्टअप ‘वीट्रैकर’ लॉन्च किया। यह अफ्रीकी टेक इकोसिस्टम को समर्पित वैश्विक तकनीक मीडिया है, जिसका उद्देश्य अफ्रीका महाद्वीप में इन्फॉर्म, इमर्स और इन्वेस्ट करना है।