scriptगरीब से अमीर बनने की कहानीः बिना पढ़ाई-लिखाई के ऐसे बने अरबपति, नाम है “सुपरमैन” | Motivational story of Li Ka Shing in Hindi who became millionaire | Patrika News
मैनेजमेंट मंत्र

गरीब से अमीर बनने की कहानीः बिना पढ़ाई-लिखाई के ऐसे बने अरबपति, नाम है “सुपरमैन”

हॉंगकॉंग के बिजनेस मैग्नेट, इन्वेस्टर और फिलैंथ्रेपिस्ट ली का-शिंग की गरीब से अमीर बनने की अविश्वसनीय कहानी है।

Oct 21, 2018 / 05:29 pm

सुनील शर्मा

success story,success mantra,Management Mantra,inspirational story in hindi,motivational story in hindi,business tips in hindi,li ka shing,

li ka shing, motivational story in hindi, inspirational story in hindi, business tips in hindi, success mantra, management mantra, success story

हॉंगकॉंग के बिजनेस मैग्नेट, इन्वेस्टर और फिलैंथ्रेपिस्ट ली का-शिंग की गरीब से अमीर बनने की अविश्वसनीय कहानी है। उनका जन्म चीन के गुआंग्डोंग में 1928 में हुआ। ली पर बहुत कम आयु में ही घर की फाइनेंशियल जिम्मेदारी निभाने का भार आ गया था। युद्ध के दौरान दक्षिण चीन से उनका परिवार हॉंगकॉंग आ गया। उसके बाद उनके पिता की तपेदिक से मृत्यु हो गई। ऐसे में उन्हें परिवार की सहायता करने के लिए 15 साल से कम उम्र में ही स्कूल छोडऩे को मजबूर होना पड़ा।
उन्हें प्लास्टिक ट्रेडिंग कम्पनी में नौकरी मिली, जहां वे दिन में 16 से 22 घंटे काम किया करते थे। फिर उन्होंने 1950 में 22 साल की उम्र में अपनी कम्पनी शुरू की। उनकी फैक्ट्री चेउंग कॉन्ग इंडस्ट्रीज प्लास्टिक फ्लॉवर्स का निर्माण करने लगी। उन्होंने अनुमान लगाया था कि प्लास्टिक बूमिंग इंडस्ट्री होगी और इस बात में वह सही थे। उन्होंने नवीनतम उद्योग के रुझानों को सीखने की इच्छा से महज पचास हजार डॉलर में शुरुआत की थी।
चूंकि वह यंग एज में स्कूल ड्रॉपआउट थे। उनके पास यूनिवर्सिटी की कोई डिग्री नहीं थी, ऐसे में इंडिपेंडेंटली सीखने की उनकी क्षमता को उनकी सफलता का श्रेय जाता है। मिसाल के तौर पर उन्होंने कम्पनी के पहले वर्ष में बिना किसी अकाउंटिंग अनुभव के खुद अकाउंटिंग की बुक्स को कम्प्लीट किया। उन्होंने खुद को पाठ्य पुस्तकों से पढ़ाया। नॉलेज और इंडस्ट्री इनसाइट के साथ ली लॉयल्टी और रेपुटेशन को सफलता की चाबी मानते हैं।
1956 में उन्होंने एक बार एक प्रस्ताव को लौटा दिया, जो कि उन्हें बिक्री पर 30 फीसदी अतिरिक्त फायदा देता, इसके साथ ही उन्हें अपनी फैक्ट्री का विस्तार करने का मौका भी मिलता। दरअसल, वह पहले ही किसी दूसरे बायर से वर्बल कमिटमेंट कर चुके थे। ली ने धीरे-धीरे अपनी कंपनी को प्लास्टिक मैन्युफेक्चरिंग से हॉन्गकॉन्ग की लीडिंग रीयल एस्टेट इन्वेस्टमेंट कंपनी तक पहुंचा दिया, जो 1971 में हॉन्गकॉन्ग स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो गई।
इसके बाद उनकी कंपनी चेउंग कॉन्ग ने 1979 में हचिसन व्हाम्पोआ और 1985 में हॉन्गकॉन्ग इलेक्ट्रिक होल्डिंग्स लिमिटेड का अधिग्रहण कर विस्तार कर लिया। इस तरह वह लगातार सफल होते गए।

Hindi News / Education News / Management Mantra / गरीब से अमीर बनने की कहानीः बिना पढ़ाई-लिखाई के ऐसे बने अरबपति, नाम है “सुपरमैन”

ट्रेंडिंग वीडियो