चांदी के दामों में जोरदार उछाल, एक ही दिन में 2450 रुपए चढ़ी
हाइब्रिड में कुल पांच तरह के फंड
रूढ़िवादी : यह फंड पोर्टफोलियो का 10 से 15 फीसदी इक्विटी में और बाकी 75 से 90 फीसदी डेट में निवेश करता है। यह बहुत कम जोखिम लेकिन, इक्विटी से थोड़ा लाभ कमाने वालों के लिए है। इस कैटेगरी का एक साल में 9.74 फीसदी, तीन साल में 8.72 और 5 साल में 7.16 फीसदी रिटर्न ।
आक्रामक : यह कम से कम 65 फीसदी और अधिकतम 80 फीसदी तक इक्विटी में निवेश करता है। 20 से 35 फीसदी बॉन्ड और अन्य सुनिश्चित आय वाली प्रतिभूतियों में निवेश करता है। यह ज्यादा जोखिम वालों के लिए ठीक है। इसके बेंचमार्क ने 2022 में 4.8 फीसदी और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने 11.7 फीसदी रिटर्न दिया था।
बैलेंस्ड एडवांटेज: यह फंड पोर्टफोलियो का 0 से 100 फीसदी इक्विटी में या इतना ही डेट में निवेश कर सकता है। जब मार्च 2020 में कोरोना के बाद सेंसेक्स में गिरावट आई, तो आईप्रू बैलेंस्ड एडवांटेज ने इक्विटी निवेश बढ़ाकर 73.7 फीसदी कर दिया। जब बाजार 60,000 से अधिक के स्तर पर पहुंचा तो फंड ने शुद्ध इक्विटी को 30 फीसदी से कम कर दिया। कैटेगरी का एक साल में 15.59, तीन साल में 13.79 फीसदी का रिटर्न है।
मल्टी-एसेट अलोकेशन: यह सदाबहार फंड है। इस श्रेणी में आईप्रू ने 2022 में 16.8 फीसदी और बेंचमार्क ने 5.8 फीसदी का रिटर्न दिया। इस कैटेगरी ने एक साल में 17.74 फीसदी तीन साल में 17.93 और पांच साल में 10.22 फीसदी का रिटर्न दिया।
इक्विटी सेविंग : यह इक्विटी और संबंधित संसाधनों में 65 और डेट में 10 फीसदी तक निवेश करता है। यह उनके लिए है, जो डेट से ज्यादा इक्विटी से कम रिटर्न चाहते हैं। एक साल में 11.32, तीन साल में 11.06 व पांच साल में 7.51 फीसदी का रिटर्न दिया है।
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बैंकिंग प्रणाली से बुरे फंसे कर्जों की समस्या अब नहीं: नरेन
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के कार्यकारी निदेशक और मुख्य निवेश अधिकारी एस. नरेन कहते है कि भारत का लंबे समय में विकास अच्छा है। कॉरपोरेट अच्छी स्थिति में है। आय में सुधार हो रहा है। मजबूत बैंकिंग प्रणाली से बुरे फंसे कर्जों की समस्या अब नहीं है। दुनिया में कोई अन्य देश नहीं है, जिसके पास अगले दशक के लिए इतनी मजबूत विकास की कहानी है। इन सभी कारणों से भारत का मूल्यांकन दुनिया के मुकाबले ऊंचा है। अब चुनौती उच्च मूल्यांकन की है। निवेशकों के लिए यह ऐसा फंड है, जो उनकी क्षमता के आधार पर विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश कर जोखिम से बचाता भी और आक्रामक तरीके से रिटर्न भी देता है। उनके मुताबिक, वैश्विक स्तर पर कई सारी समस्याओं, मौद्रिक नीति निर्णयों और कई देशों के बीच तनाव के कारण कुछ चुनौतियां हो सकती हैं। इसलिए, रुक-रुक कर होने वाली अस्थिरता से इन्कार नहीं किया जाना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दशक में तेजी से बढ़ेगी।