ये होती है भूमिका
इस क्षेत्र के प्रोफेशनल उन लोगों के लिए मुख्य रूप से काम करते हैं जिनके पैदाइशी या किसी दुर्घटना के कारण हाथ-पैर या कोई शारीरिक अंग नहीं होता है उनके लिए वे ऐसे कृत्रिम अंग डिजाइन करते हैं जो उनके जीवन को आसान कर देते हैं।
जरूरी योग्यता
न्यूनतम 60 फीसदी अंकों से केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ और फिजिक्स से 12वीं कक्षा में पास होना जरूरी। ग्रेजुएशन के बाद मास्टर्स डिग्री भी प्राप्त की जा सकती है। दो वर्षीय डिप्लोमा के अलावा संबंधित फील्ड में आइटीआइ भी कर सकते हैं।
पाठ्यक्रम व कोर्स
इसमें लाइफ साइंसेज के अलावा मोबिलिटी ऐड, प्रोस्थेटिक्स एंड ऑर्थोटिक्स, फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन, स्पाइनल ऑर्थोटिक्स, प्रोस्थेटिक्स की बेसिक इंजीनियरिंग आदि के विषय में शिक्षा दी जाती है। कुछ प्रमुख कोर्स हैं :
यहां से ले सकते हैं शिक्षा
कमाई
डिप्लोमा करने के बाद आप तकनीशियन के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं। इसके लिए आपको 15-20 हजार रुपए मासिक मिलते हैं। अनुभव के अलावा कहां आप नौकरी कर रहे हैं, उस आधार पर पैसा मिलता है।