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लखनऊ

UPPCL: उत्तर प्रदेश में 15% बिजली दरों की बढ़ोतरी: उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा भार

UPPCL: उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में 15% तक की वृद्धि: उपभोक्ताओं पर बढ़ा वित्तीय बोझ, आइये जानते हैं उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का न्यू प्लान।

लखनऊDec 03, 2024 / 07:56 am

Ritesh Singh

उपभोक्ताओं को जल्द ही महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा

उपभोक्ताओं को जल्द ही महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा

UPPCL: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नया वित्तीय झटका सामने आया है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों में औसतन 10-15% की बढ़ोतरी का फैसला लिया है। यह कदम वर्ष 2025-26 के लिए पावर कॉर्पोरेशन द्वारा प्रस्तावित 1.16 लाख करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) के तहत उठाया गया है। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के उपभोक्ताओं पर आर्थिक भार बढ़ेगा​

मुख्य कारण: घाटे की भरपाई

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने 2025-26 के लिए ARR दाखिल किया, जिसमें लगभग 13,000 करोड़ रुपये का घाटा दर्शाया गया। इस घाटे को पूरा करने के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी आवश्यक बताई गई। राज्य में कुल बिजली खपत 16,000 करोड़ यूनिट तक पहुंचने की संभावना है, जबकि बिजली की खरीद लागत 92,000 करोड़ रुपये से 95,000 करोड़ रुपये के बीच अनुमानित है​

नई बिजली दरें: शहरी और ग्रामीण उपभोक्ता

शहरी उपभोक्ताओं के लिए नई दरें

0-100 यूनिट: ₹5.50 से बढ़कर ₹6.15 प्रति यूनिट
101-300 यूनिट: ₹6.00 से बढ़कर ₹6.90 प्रति यूनिट
300 यूनिट से अधिक: ₹6.50 से ₹7.25 प्रति यूनिट

ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए नई दरें

0-100 यूनिट: ₹3.35 से बढ़कर ₹3.85 प्रति यूनिट
101-300 यूनिट: ₹5.00 से ₹5.75 प्रति यूनिट
300 यूनिट से अधिक: ₹5.50 से ₹6.30 प्रति यूनिट

औद्योगिक और वाणिज्यिक दरें

औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10% और छोटे व्यवसायों के लिए 12% तक की वृद्धि की गई है​

विरोध और उपभोक्ता असंतोष

बिजली दरों में वृद्धि पर उपभोक्ता परिषद और कर्मचारी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह कदम निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि ARR मसौदे में उपभोक्ताओं के 33,122 करोड़ रुपये के बकाया का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस बोझ को आम उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है​

क्या कहते हैं विरोधी पक्ष?

विरोधी संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि यह प्रस्ताव बिना किसी सार्वजनिक परामर्श के गुपचुप तरीके से दाखिल किया गया। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में इसका विरोध दर्ज करने का निर्णय लिया है और आर-पार की लड़ाई की चेतावनी दी है​

बिजली वितरण का निजीकरण: एक नई चिंता

इसके साथ ही, राज्य सरकार ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल क्षेत्रों में बिजली वितरण का निजीकरण करने की योजना पर भी काम शुरू किया है। इस प्रस्ताव ने राज्य के बिजली कर्मचारियों और संगठनों में और अधिक गुस्सा भड़का दिया है। कर्मचारियों का मानना है कि यह निर्णय जनता और राज्य के हितों के खिलाफ है​

उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ

नई दरों के लागू होने से घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को हर महीने अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रभाव

ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली दरों में 15% तक की वृद्धि के कारण किसानों और छोटे उपभोक्ताओं पर ज्यादा असर पड़ेगा।

औद्योगिक उत्पादन लागत में वृद्धि

औद्योगिक दरों में वृद्धि से उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे बाजार में उत्पादों की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है। यह वृद्धि निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि, बिजली कंपनियों का कहना है कि घाटे की भरपाई और बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए यह कदम जरूरी है। अब यह देखना होगा कि इस फैसले पर उपभोक्ताओं और संगठनों का विरोध कितनी दूर तक जाता है और इसका राज्य की ऊर्जा नीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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