वीडियो सर्विलांस सिस्टम आईपी बेस्ड होगा। सीसीटीवी कैमरे ऑप्टिकल फाइबर केबिल पर काम करेंगे। ये सिस्टम स्थानीय कंट्रोल से नहीं मंडल और जोनल स्तर के केंद्रीयकरण सेंटर से कनेक्ट होगा। इस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इनेबल वीडियो एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर और फेसियल रिकॉगनिशन सॉफ्टवेयर काम करता है। इसमें पहले से फीड सूचीबद्ध अपराधियों के प्रवेश करते ही उसका अलर्ट जारी होगा। कैमरों, सर्वर, यूपीएस और स्विचों की मॉनिटरिंग के लिए नेटवर्क मैनेजमेंट सिस्टम (एनएमएस) की व्यवस्था भी की गई है। जिम्मेदार इसे किसी भी वेब ब्राउज़र के माध्यम से देख सकेंगे।
प्रतीक्षालय, आरक्षण काउंटर, पार्किंग क्षेत्र, प्रवेश, निकास, प्लेटफार्म, फुट ओवर ब्रिज, बुकिंग कार्यालयों में वीडियो निगरानी सिस्टम लगेगा। यह भी पढ़े –
इटावा के पांच तो कानपुर समेत इन जिलों के लोग अमरनाथ में फंसे, संपर्क नहीं होने पर छटपटा रहे परिवार वीडियो निगरानी प्रणाली के तहत स्टेशनों पर डॉम टाइप, बुलेट टाइप, पैन टिल्ट ज़ूम टाइप और अल्ट्रा एचडी-4 श्रेणी के कैमरे लगेंगे। इन सभी कैमरों की रिकार्डिंग 30 दिनों के लिए रिजर्व रहेगी। अभी तीन या चार दिन की ही रिकार्डिंग रिजर्व रहती है।
रेल टेल दिल्ली की पीआरओ सुचरिता के अनुसार पहली बार रेलवे स्टेशनों पर वीडिया सर्विलांस सिस्टम लग रहा है। सुरक्षा के लिहाज से यह मील का पत्थर साबित होगा। अब स्टेशनों पर आकर सूचीबद्ध अपराधी बच न सकेंगे। वाहनों की भी पहचान हो सकेगी कि किसने खड़ा किया है और कितने बजे।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एआई और एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर में एक अलर्ट तो होगा ही साथ ही इस सिस्टम में घुसपैठ, कैमरों से छेड़छाड़, डिटेक्शन, मानव और वाहन का पता लगाना, विशेषता के आधार पर मनुष्यों की खोज, रंग खोज, नीचे गिरा हुआ व्यक्ति और संयुक्त खोज इसकी विशेषता होगी।