30 अक्टूबर को अध्योध्या में जब कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद में प्रवेश करने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोका। नतीज पुलिस और कारसेवकों में झड़प हो गई। इस दौरान कारसेवक मस्जिद में घुसने के लिए डटे रहें। थोड़ी देर बाद तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। फायरिंग के कारण भदगड़ मच गई। इस घटना में दो दर्जन से अधिक कारसेवक मारे गये। अधिकारिक रिकॉर्ड में 17 मौतें बताई जा रही हैं, जबकि बीजेपी का कहना है कि गोलीकांड में 56 कारसेवकों की मौत हुई थी।