scriptवो मंदिर, जहाँ का पानी पीते ही ठीक हो जाती हैं दुर्लभ बीमारियाँ | temple where drinking water cures rare diseases | Patrika News
लखनऊ

वो मंदिर, जहाँ का पानी पीते ही ठीक हो जाती हैं दुर्लभ बीमारियाँ

हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो मंदिर चिकित्सा जगत के लिए भी अनसुलझी पहले बना हुआ है। दरअसल, इस मंदिर का पानी पीते ही कई दुर्लभ बीमारियां ठीक हो जाती हैं। वहीं इस पानी को पीने से स्वस्थ आदमी बीमार पड़ जाता है। अपनी इसी खासियत के चलते इस मंदिर को औषधेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।

लखनऊFeb 06, 2022 / 06:45 pm

Vivek Srivastava

वो मंदिर, जहाँ का पानी पीते ही ठीक हो जाती हैं दुर्लभ बीमारियाँ

वो मंदिर, जहाँ का पानी पीते ही ठीक हो जाती हैं दुर्लभ बीमारियाँ

वैसे तो उत्तर प्रदेश में कई मंदिर हैं जो अपने आप में बेहद गहरे रहस्य समेटे हुए हैं। लेकिन आज हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो मंदिर चिकित्सा जगत के लिए भी अनसुलझी पहले बना हुआ है। दरअसल, इस मंदिर का पानी पीते ही कई दुर्लभ बीमारियां ठीक हो जाती हैं। लेकिन ये मंदिर उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में स्थित है। इस मंदिर का ना हैं मारुंडेश्वरर मंदिर। हमारे पूर्वजों को चिकित्सा और रसायन विज्ञान की गहरी समझ और कितना जबरदस्त ज्ञान था इसका जीता जागता उदाहरण है मारुंडेश्वरर मंदिर। तमिलनाडु में स्थित इस मंदिर के बारे में बेहद कम लोगों को जानकारी है। आप में से ज्यादातर लोगों ने तो इस मंदिर का नाम ही शायद पहली बार सुना होगा। मगर ये मंदिर प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान का साक्षात प्रमाण है।
दरअसल हमारे देश में बहुत से ऐसे मंदिर और धार्मिक स्थल जो बीमारियों और रोगों से निजात दिलाते है और मारुंडेश्वरर मंदिर उन्ही में से एक है। मारुंडेश्वरर या औषधेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ये शिव मन्दिर तमिलनाडु के कांचीपुरम के थिरुकाचुर गाँव में है। इस मंदिर में शिव जी को मारुंडेश्वरर के रूप में पूजा जाता है।
यह भी पढ़ें

इस दिन पड़ेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, इन चार राशि वाले लोगों की बदल जाएगी किस्मत

“चिकित्सा का मंदिर”

मारुंड का अर्थ है चिकित्सा, मारुंडेश्वरर अर्थात चिकित्सा के ईश्वर और मारुंडेश्वरर मंदिर अर्थात “चिकित्सा का मंदिर।” पुराणों और प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, माता सती की त्वचा अंजनक्षी रुद्रगिरि पर्वत पर गिरी थी। इसी पर्वत पर ये चमत्कारी औऱ दैवीय मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि एक बार इंद्र सहित स्वर्ग में समस्त देवता बीमार हो गए। सभी देवताओं ने इस स्थान पर शिव की पूजा की। स्वर्ग के इन देवों का इलाज भगवान शिव के कहने पर दिव्य चिकित्सक अश्वनी देवता ने इसी स्थान पर किया था जहाँ ये मंदिर है।
हजारों वर्ष पहले यहाँ थी “लैब”

मन्दिर से जुड़ी सभी पौराणिक कथाएँ ये इशारा करती है कि मन्दिर रोगों के निवारण से जुड़ा है। यहाँ आने वाले भक्तों का मानना है कि वो यहाँ की मिट्टी और पानी के उपयोग से निरोगी हो जाते हैं। यहाँ एक गोल भूमिगत कुआं है जहाँ अभी भी पानी भरा रहता है। कुएँ तक जाने के लिए छड़नुमा सीढियां हैं। ये एक ऐसी जगह थी जहाँ केवल साधु संत ही जा सकते थे। ये लोग यहां पर रस-विधा यानि रसायन विद्या और औषधियों पर अनुसंधान किया करते थे। एक तरीके से देखें तो ये स्थान उनकी प्रयोगशाला या लैब की तरह थी। इसी वजह से इस स्थान पर सबका जाना निषेध था।
लैब में तैयार होती थीं दवाइयाँ

इस स्थान पर दवाइयां और अजीब रसायन तैयार किए जाते थे जिनकी सहायता से गंभीर बीमारियों से ग्रसित पीड़ितों को ठीक किया जाता था। यही कारण है कि इस हिंदू मंदिर का नियमित स्वरूप नहीं है। कुछ सौ साल पहले इस स्थान को भी सामान्य जनता के लिए खोल कर पूर्ण रूप से मंदिर में बदल दिया गया।
रहस्यमयी विकिरण का उत्सर्जित करता है ध्वज

मंदिर में एक ध्वज पद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह किसी प्रकार के रहस्यमयी विकिरण का उत्सर्जन करता है। पोस्ट के आधार पर, एक छोटा आयताकार गड्ढा होता है, जो एक प्रकार की धूल से भरा है। इस मिट्टी या धूल को दवा माना जाता है, एक क्यूरेटिव पाउडर जो कई बीमारियों को ठीक कर सकता है। जो लोग मंदिर जाते हैं, वे यहाँ की धूल घर ले जाते हैं और किसान भी अपने खेती में इसका उपयोग करते हैं।
“औषध तीर्थ”

यहां जो संत रहते थे उनमें प्रशिक्षुता की परंपरा थी उन्हें सिखाया जाता था कि विभिन्न यौगिकों को बनाने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और रसायनों को कैसे मिलाया जाए। उन्होंने 9 रसायनों से निर्मित इस बेलनाकार “औषध लिंगम” को पानी में रखा। जिसकी संरचना की-होल जैसी है। यह उन रसायनों से मिलकर बनाया था जो व्यक्तिगत रूप से सेवन किए जाने पर जहरीले होते हैं, लेकिन जब एक साथ जुड़े होते हैं, तो इसमें बहुत अधिक उपचार गुण होते हैं। जिन रसायनों ने “औषध लिंगम” को बनाया, वे बहुत धीरे-धीरे पानी में घुल जाते है,जिससे पानी में उपचार करने के गुण आ जाते है यही कारण है कि इस पूरे ढांचे को ‘ओषध तीर्थ”के रूप में जाना जाता है।
स्वस्थ लोगों को बीमार कर देता है यह पानी

स्थानीय लोगों का दावा है कि जहां यह पानी बीमार लोगों के लिए दवा का काम करता है, वहीं स्वस्थ लोगों के लिए ये पानी हानिकारक है। इसकी वजह ये है कि यहां का पानी असामान्य रूप से भारी है। अब भारी पानी का मतलब जानने के लिए थोड़ा विज्ञान को समझना होगा। दरअसल सामान्य पानी मतलब H2O वहीं भारी पानी का मतलब D2O। इस शिवलिंग से जो पानी बनता है वो भारी पानी होता है।
यह भी पढ़ें

बड़ी से बड़ी समस्या दूर कर सकता है दूध का छोटा सा उपाय

भारी पानी में हीलिंग प्रॉपर्टीज होती है। अगर कैंसर रोगी सेवन करे तो सेहत में कुछ सुधार होता है और अगर स्वस्थ इंसान इनका सेवन करे तो वो बीमार हो जाएगा। ये मन्दिर बहुत प्राचीन है यानि इसका सीधा सा अर्थ ये है कि उस प्राचीन समय में हमारे पूर्वजों को रसायन व चिकित्सा विज्ञान का कितना गहरा ज्ञान था।

Hindi News / Lucknow / वो मंदिर, जहाँ का पानी पीते ही ठीक हो जाती हैं दुर्लभ बीमारियाँ

ट्रेंडिंग वीडियो