पिछला सर्वेक्षण 400 शहरों के बीच 2000 अंक का हुआ था। राजधानी को 269 स्थान मिला था। सर्वेक्षण 2018 4,041 शहरों और कस्बों के बीच 4000 अंक का होगा। इसमें म्युनिसिपल डॉक्यूमेंटेशन, यानी निगम के द्वारा अपनी व्यवस्थाओं का ब्यौरा खुद देने के लिए 35% नंबर यानी 1400 अंक, डायरेक्ट ऑब्जरवेशन के लिए 30% यानी 1200 अंक, सिटीजन फीडबैक के लिए 35 परसेंट यानी 1400 अंक दिए जाएंगे।
– म्युनिसिपल डॉक्यूमेंटेशन, यानी निगम के द्वारा अपनी व्यवस्थाओं का ब्यौरा खुद देने के लिए 1400 अंक रखे गए हैं। इसमें निगम कितना डिजिटल हुआ है जैसे कर्मचारियों की बैयोमेट्रिक उपस्तिथि, मोबाइल कम्पेक्टर, कूड़ा ढोने वाले वाहनों में जीपीएस जैसी सुविधाओं का ब्योरा देना होगा। फिलहाल न ही सभी कूड़ा गाड़ियों में जीपीएस लगे हैं और न ही 17 हज़ार शौचालय निर्माण का लक्ष्य पूरा हो सका है। ख़ास बात ये है कि निगम अपनी नाकामियों को छुपा भी नहीं सकता क्यूंकि इस बार नेगिटिव मार्किंग भी की जानी है।
-1200 अंक के लिए डायरेक्ट ऑब्जरवेशन किया जाना है। इसमें अधिकारी शहर में घूम कर निगम के डॉक्यूमेंटेशन को क्रॉस चेक करेंगे और शहर का हाल भी देखेंगे। फिलहाल शहर में खुले में शौच और कूड़ा खुले आम देखा जा सकता है। अवैध होर्डिंग का जाल भी पसरा हुआ है। ऐसे में देखना होगा कि अधिक नंबर कटेंगे या मिलेंगे !
– 40 प्रतिशत ही कूड़ा कलेक्शन
– कूड़े का सेग्रीगेशन नहीं
– आवारा पशुओं से छुटकारा नहीं
– स्वच्छता ऐप का टारगेट पूरा नहीं
– सीवेज ट्रीटमेंट
स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में 200 अंक इनोवेशन यानी स्वछता के लिए अपने अनोखे तरीकों के आधार पर अंक दिए जाने है। प्रदेश भर में राजधानी इकलौता ऐसा शहर है जहां कूड़ा घर ख़त्म करने के अंडर ग्राउंड बिन और मोबाइल कम्पेक्टर प्रयोग में लाए जा रहे हैं।
लगातार निगम की ओर से अपने स्तर पर मॉनिटरिंग की जारही है। जानकारों की माने तो एक हज़ार अंक से अधिक का नुक्सान इस बार रैंकिंग में झेलना पड़ सकता है। निगम के पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण ने बताया कि फिलहाल केंद्र की टीम राजधानी कब आरही है इसकी जानकारी नहीं है। ये भी नहीं बताया जा सकता है कि ओवरआल में कितने अंक हमे मिलेंगे। फिलहाल हमारी ओर से शहर को साफ़ रखने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं। लोगों से ऐप डाउनलोड और इस्तेमाल के बाद फीडबैक की अपील की गई है।