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लखनऊ

जय-वीरू थे भाटी, टकराव के बाद गब्बर बना सुंदर

एक दूसरे के लिए जान देने वाले दोस्तों के बीच तकरार तब शुरू हुई जब नरेश भाटी ने जिला पंचायत का चुनाव लड़ने का ऐलान किया। सुंदर भाटी भी चुनाव लड़ना चाहता था दोनों के बीच में राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर खींचतान शुरू हुई। इसी बीच नरेश चुनाव जीत गया इसके बाद विधानसभा चुनाव में दोनों आमने-सामने आगए। चुनाव में दोनों को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद दोनों के बीच में गैंगवार शुरू हो गई जिसमें लगभग 50 लोग मारे गए। नरेश गुर्जर की मौत के बाद सुंदर भाटी का कद काफी बढ़ गया।

लखनऊNov 02, 2021 / 01:26 pm

Prashant Mishra

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लखनऊ. अपनी आपराधिक वारदातों से यूपी, दिल्ली, हरियाणा की पुलिस की नाक में दम करने वाला सुंदर भाटी इन दिनों यूपी की सोनभद्र जेल में अपने कर्मों की सजा काट रहा है। एक समय था जब सुंदर भाटी के वर्चस्व के आगे बाकी माफिया बौने नजर आते थे। यह समय था 90 के दशक का, नोएडा का डेवलपमेंट हो रहा था उस समय नोएडा और गाजियाबाद में सतवीर गुर्जर और महेंद्र फौजी के गैंग सक्रिय थे और दोनों में जबरदस्त संघर्ष चल रहा था इन्हीं गैंग की उपज थे सुंदर भाटी व नरेश भाटी।
माफिया बनने का शौक रखने वाले सुंदर भाटी ने सतवीर गुर्जर का गैंग ज्वाइन किया, यहीं पर सुंदर भाटी की मुलाकात नरेश भाटी से हुई, दोनों के बीच में कम ही समय में जबरदस्त दोस्ती हो गई। दोस्ती भी ऐसी वैसी नही दोनों एक दूसरे के लिए जान लेने और देने को तैयार थी। सुंदर भाटी ने नरेश भाटी के परिवार के सदस्यों की मौत का बदला अपनी जान पर खेल कर लिया। हालांकि, आगे चल के राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं व हितों के टकराव के चलते दोनों में विवाद हो गया। विवाद इस कदर हुआ कि दोनों एक दूसरे की जान के प्यासे हो गए। यहीं से दोनों ने अलग-अलग गैंग बनाया एक दूसरे पर कई बार हमले किए। अंत में 28 मार्च 2004 को गौतमबुद्ध नगर जिला पंचायत अध्यक्ष नरेश भाटी की गाड़ी पर महला हुआ और हमलावरों ने गाड़ी पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई जिसमें नरेश की मौत हो गई। हत्या का आरोप सुंदर भाटी के ऊपर है।
ऐसे दुश्मनी में बदली दोस्ती

एक दूसरे के लिए जान देने वाले दोस्तों के बीच तकरार तब शुरू हुई जब नरेश भाटी ने जिला पंचायत का चुनाव लड़ने का ऐलान किया। सुंदर भाटी भी चुनाव लड़ना चाहता था दोनों के बीच में राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर खींचतान शुरू हुई। इसी बीच नरेश चुनाव जीत गया इसके बाद विधानसभा चुनाव में दोनों आमने-सामने आगए। चुनाव में दोनों को हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच में गैंगवार शुरू हो गई जिसमें लगभग 50 लोग मारे गए। नरेश गुर्जर की मौत के बाद सुंदर भाटी का कद काफी बढ़ गया।
बस यूनियन को लेकर भी था टकराव

सुंदर भाटी शुरुआत में बस यूनियन के साथ जुड़ा हुआ था मारपीट व क्षेत्रिय गुंडई में शामिल सुंदर भाटी धीमे धीमे हत्या, लूट, रंगदारी जैसे अपराधों में संलिप्त हो गया। 1992 में नोएडा बनने के साथ ही सुंदर भाटी भी अपराध की दुनिया में स्थापित हो गया। पुलिस फाइलों में सुंदर भाटी को गैंग डी -11 के नाम से जाना जाता है। सुंदर भाटी व नरेश गुर्जर में बस यूनियन की दावेदारी को लेकर भी टकराव था।
सुंदर भाटी की पत्नी बनी अध्यक्ष

वर्ष 2004 में नरेश भाटी की हत्या के बाद सुंदर भाटी ने अपनी पत्नी सुनीता को दनकौर का ब्लाक प्रमुख बनवा लिया। पत्नी के ब्लॉक प्रमुख बनने के बाद हरेंद्र प्रधान नाम के व्यापारी से सुंदर भाटी की ठन गई। सुंदर भाटी ने हरेंद्र प्रधान से रंगदारी मांगी थी जिसे न देने पर 8 फरवरी 2015 को सुंदर ने हरेंद्र प्रधान की हत्या करा दी। इस दौरान हरेंद्र प्रधान के सरकारी गनर की भी हत्या कर दी गई। इस मामले में सुंदर भाटी के खिलाफ नामजद एफआईआर हुई। सुंदर भाटी पर हत्या और हत्या के प्रयास के 11 सहित कुल 142 मुकदमे है अपराध के बल पर सुंदर भाटी ने करोड़ों की संपत्ति बना रखी है।

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