घटना के पीछे संपत्ति विवाद मुख्य कारण था। अजय सिंह ने अपने माता-पिता, छोटे भाई, भाभी, और उनके दो बच्चों को योजनाबद्ध तरीके से मौत के घाट उतार दिया। यह घटना ना केवल पारिवारिक दरार को दिखाती है, बल्कि समाज में बढ़ती धन और संपत्ति की लालसा की भयावह तस्वीर भी पेश करती है।
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हत्या की क्रूरता ने मचाया था हड़कंपघटना की जांच में पता चला कि अजय और रूपा ने हत्या को अंजाम देने के लिए पूरा षड्यंत्र रचा था। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को पहले बेहोश किया और फिर निर्ममता से उनकी हत्या कर दी। मासूम बच्चों तक को नहीं बख्शा गया। हत्या की यह घटना पूरे इलाके में चर्चा और भय का विषय बन गई थी।
लखनऊ पुलिस ने घटना के तुरंत बाद सक्रियता दिखाई और मामले की तह तक पहुंचने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। पुलिस ने दंपति को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ साक्ष्य जुटाए। फॉरेंसिक रिपोर्ट, गवाहों के बयान, और अन्य तकनीकी सबूतों के आधार पर आरोप पत्र दाखिल किया गया।
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न्यायालय का फैसलाएडीजे रोहित सिंह की कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर अजय और रूपा को दोषी करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला उन ‘दुर्लभतम मामलों’ (rarest of rare) की श्रेणी में आता है, जहां अपराध की क्रूरता और योजनाबद्धता को देखते हुए फांसी की सजा देना ही न्यायसंगत है।
इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार के अन्य बचे हुए सदस्यों ने न्यायपालिका का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि न्याय मिलने में भले ही समय लगा, लेकिन दोषियों को फांसी की सजा ने उनके दर्द को कुछ हद तक कम किया है।
यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सबक है। संपत्ति और धन के लिए अपने ही परिजनों की हत्या करना मानवीय मूल्यों के पतन का उदाहरण है। यह फैसला समाज में कानून के प्रति विश्वास को मजबूत करता है और भविष्य में ऐसे अपराध करने वालों के लिए एक कड़ा संदेश है।
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अपराध की योजना और कोर्ट की टिप्पणीकोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि अपराध ना केवल जघन्य था, बल्कि पूरी तरह से योजनाबद्ध भी। हत्या करने से पहले दंपति ने सभी संभावित पहलुओं पर विचार किया था। कोर्ट ने कहा कि यह घटना समाज में अपराधियों को सख्त दंड देने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
दंपति के पास फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का विकल्प है। हालांकि, इस मामले में सबूत इतने ठोस हैं कि उच्च न्यायालय में भी इस फैसले के बरकरार रहने की संभावना है।
- घटना का समय: 2020
- मामला: संपत्ति विवाद
- न्यायालय: लखनऊ जिला कोर्ट
- फैसला: फांसी की सजा
- दोषी: अजय सिंह और रूपा सिंह