कौन था वो सनकी फकीर जिसके कहने पर बाबर ने तुड़वाया राम मंदिर
बाबा श्यामानंद ने मंदिर के विग्रह को सरयू जी में छिपाया
मीर बांकी के आदेश के बाद बाबर के सैनिकों ने राममंदिर पर हमला बोल दिया। चारों तरफ हाहाकार मच गया और योगी-संयासी, यति, ब्राम्हण, पुजारी और भक्तों का बलिदान का सिलसिला शुरू हो गया। पूरी अयोध्या हिंदूओं के खून से लाल हो गई। इधर बाबा श्यामानंद अपने मुस्लिम शिष्यों के षडयंत्र को समझ नहीं पाए थे और अब उनके पास पछतावा के सिवा कुछ नहीं बचा था। वह मंदिर के विग्रह को भंग होने से बचाने के लिए सरयू जी में डाल आए और मुख्य विग्रह को लेकर उत्तराखंड की ओर चले गए।
बाबरकाल से पहले भी तोड़ा गया था राम का भव्य मंदिर, पूरी अयोध्या कर दी थी तहस-नहस, किसने किया था ये सब?
उस समय मंदिर में चार पुजारी और पार्षद मौजूद थे, जो खड़े हो गए और कहा हमारी मौत के बाद ही कोई अंदर घुसेगा। तब फकीर जलालशाह ने आदेश दिया कि इनके सिर धड़ से अलग कर दिया जाए जिसे मीर बांकी ने तत्काल पालन करते हुए उनको मौत की नींद सुला दिया। पुजारियों और हिंदू भक्तों की लाशें चील कौओं को खाने के लिए बाहर फेंक दी गई और मुख्य मंदिर को लगातार तोड़ते हुए भूमिसात कर दिया गया।मंदिर के मलबे से तामीर होने लगी मस्जिद
अब इसके बाद उसी मंदिर की सामग्री से मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया। जिस मंदिर को तोड़ा गया वह तत्कालीन समय में विश्व का सबसे सुंदर और भव्य मंदिर था, जिसमें सात कलश और एक सर्वोच्च शिखर था। बताया जाता है कि आज के मनकापुर से श्रीराम जन्मस्थान का मंदिर दिखाई पड़ता था।
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कहा जाता है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ चार मंदिरों में उस समय पहले नंबर पर अयोध्या का श्रीराम मंदिर हुआ करता था जिसे बाबर ने तोड़ डाला। इस मंदिर में एक शिखर और सात कलश थे जो आज के मनकापुर से देखे जा सकते थे। इधर बाबर की आतताई सेना ने मंदिर तोड़ना शुरू किया उधर बात जंगल की आग की तरह फैल गई। हिंदुओं के प्रतिकार और बलिदान पर आगे के अंक में हम चर्चा करेंगे। विक्रमादित्य के बनाए हुए भव्य मंदिर को बाबरी सेना तोड़ रही थी और उसकी के मशाले से नई मस्जिद तामीर भी होने लगी।