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लखनऊ

हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में आएगी कमी, उत्तर प्रदेश में जल्द लागू होगा स्टेमी केयर मॉडल

हृदय रोग और पक्षघात मृत्यु के सबसे बड़े कारण हैं।

लखनऊJul 01, 2018 / 07:15 pm

Laxmi Narayan Sharma

heart attack

हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में आएगी कमी, उत्तर प्रदेश में जल्द लागू होगा स्टेमी केयर मॉडल

लखनऊ. हृदय रोग और पक्षघात मृत्यु के सबसे बड़े कारण हैं। स्टेमी इंडिया के अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में इस बात पर सहमति बनी कि उत्तर प्रदेश में दिल का दौरा और हृदयाघात प्रबंधन कार्यक्रम लागू हो। जिन प्रदेशों में हार्ट अटैक से निपटने के मॉडल उपलब्ध नहीं है, उनमें उत्तर प्रदेश पहला राज्य होगा, जिसमें स्टेमी मॉडल लागू होगा। इससे हार्ट अटैक और हृदयाघात से होने वाली मौतों की संख्या पर भी लगाम लगाया जा सकेगा। स्टेमी इंडिया के अधिवेशन का प्रमुख उद्देश्य यह रहा कि उत्तर प्रदेश में हार्ट अटैक टीम की मदद से दिल का दौरा, हृदयाघात प्रबंधन कार्यक्रम लागू हो।
तमिलनाडू के मॉडल से लेंगे सीख

लखनऊ में स्टेमी इंडिया के अधिवेशन में पूरी दुनिया से आये डॉक्टरों ने इस मसले पर चर्चा की। आयोजक सचिव और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर ऋषि सेठी ने कहा कि कार्यसाधकता और कुशल समन्वयन के साथ हृदय रोग प्रबंधन कार्यक्रम को लागू करने से हृदय रोग से होने वाली असामयिक मृत्यु दर और रुग्णता में गिरावट आती है। अन्य राज्य जैसे कि तमिलनाडू ने स्टेमी, जो एक चिकित्सकीय आपात स्थिति है और प्राणघातक किस्म का दिल का दौरा है, के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए मॉडल विकसित किया है। यह अन्य राज्य और देशों के लिए मार्गदर्शक है। प्रोफेसर ऋषि सेठी ने बताया कि देश के जिन राज्यों में स्टेमी केयर मॉडल नहीं है, उनमें से उत्तर प्रदेश पहला राज्य होगा, जहाँ आने वाले एक साल में स्टेमी दिल के दौरे के प्रबंधन के लिए मॉडल को लागू करना आरंभ होगा। एक साल बाद उत्तर प्रदेश में लागू हुए स्टेमी केयर मॉडल के मूल्यांकन से अन्य राज्य भी लाभान्वित होंगे।
स्पेशल मॉडल लागू करने की जरूरत

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के प्रमुख और स्टेमी इंडिया 2018 के कोर्स डायरेक्टर प्रोफेसर वीएस नारायण ने कहा कि स्टेमी दिल का दौरा जानलेवा हो सकता है परन्तु यदि इसका अविलम्ब और उचित इलाज किया जाए तो मरीज़ की जान बचायी जा सकती है। इसीलिए स्टेमी दिल के दौरे के लिए विशेष मॉडल को लागू करने की ज़रूरत है, जिससे कि बिना विलम्ब समय रहते सही चिकित्सकीय सेवा ज़रूरतमंद लोगों को मिल सके।
मृत्यु दर में आएगी गिरावट

स्टेमी इंडिया 2018 के कोर्स समन्वयक और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अक्षय प्रधान ने कहा कि अधिवेशन के समापन दिवस पर भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च, स्टेमी इंडिया, अन्य राज्यों और स्वास्थ्य संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें स्टेमी दिल के दौरे के लिए प्रभावकारी कार्यक्रम पर विचार विमर्श हुआ कि कैसे विभिन्न राज्यों में स्टेमी दिल के दौरे का चिकित्सकीय प्रबंधन बेहतर हो, जिससे कि मृत्यु दर और रुग्णता में गिरावट आये। तमिलनाडू और कुछ अन्य राज्यों में ऐसी पहल हुई है, जो अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल हो सकता है। डॉ प्रधान ने कहा कि स्टेमी इंडिया ने हृदयाघात प्रबंधन के लिए तमिलनाडू में एक अनूठे ‘मॉडल ऑफ़ केयर’ को विकसित किया है, जिसके कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों, निर्धन रोगियों के लिए स्वास्थ्य बीमा सेवाओं और राजकीय एम्बुलेंस सेवाओं में परस्पर सहयोग आवश्यक है। स्टेमी इंडिया ने आईसीएमआर के साथ मिलकर इस मॉडल के प्रभावकारी असर को परखने के लिए एक वर्षीय पायलट शोध किया, जिसके बहुत सफल परिणाम मिले। इससे मृत्यु दर में 22% गिरावट आई और रोगियों में इससे होने वाली रुग्णता में कमी आई। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पारित विधि से इस मॉडल को आँका गया तो ज्ञात हुआ कि हर 1 रूपया निवेश पर 4 रूपये की बचत होती है।
राष्ट्रीय स्टेमी कार्यक्रम लागू करने पर जोर

स्टेमी इंडिया 2018 के कोर्स समन्वयक और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवेश विश्वकर्मा ने बताया कि इस स्टेमी दिल के दौरे के चिकित्सकीय प्रबंधन मॉडल को वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन ने सभी निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के देशों में लागू करने की संस्तुति की है। भारत सरकार के आईसीएमआर ने भी शोध नतीजों को मद्देनज़र रखते हुए, इस मॉडल को भारत में लागू करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही देश के सबसे बड़े हृदय रोग विशेषज्ञों के संगठन कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया और फिजिशियन्स के संगठन एसोसिएशन ऑफ़ फिजिशियन्स ऑफ़ इंडिया ने भी इस मॉडल को आदर्श मानते हुए राष्ट्रीय स्टेमी कार्यक्रम को लागू करने का समर्थन किया है।

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