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लखनऊ

MLC Chunav : प्रोटेम सभापति पर सपा और भाजपा में खींचतान

UP MLC Chunav 2021 – समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी, भारतीय जनता पार्टी अभी नहीं चाहती सभापति का चुनाव!

लखनऊJan 17, 2021 / 03:34 pm

Hariom Dwivedi

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उत्तर प्रदेश में अब तक नौ बार प्रोटेम सभापति नियुक्त किये जा चुके हैं

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. UP MLC Chunav 2021. उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों के लिए 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें 10 भाजपा के और दो सपा के हैं। 18 जनवरी नामांकन की अंतिम तारीख है। इस दौरान 13वां प्रत्याशी मैदान में नहीं आया तो अब तक घोषित प्रत्याशियों की जीत भले ही सुनिश्चित हो, लेकिन सभापति के नाम पर बीजेपी और सपा में खींचतान शुरू हो गई है, जिसमें समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी दिख रहा है। सपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत 87 वर्ष के अहमद हसन को पार्टी कैंडिडेट बनाया है, क्योंकि अगर परम्परा के मुताबिक प्रोटेम स्पीकर (protem speaker) का नाम तय होता है तो उसमें अहमद हसन फिट बैठेंगे। लेकिन, अगर सभापति के लिए चुनाव हुआ तो संख्या बल के हिसाब से सपा की जीत तय है। वहीं, भाजपा की कोशिश फिलहाल सभापति का चुनाव टालने और गैर सपा सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नामित करवाने की है।
30 जनवरी को विधान परिषद के सभापति रमेश चंद्र यादव का कार्यकाल खत्म हो रहा है। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, उच्च सदन के सभापति की कुर्सी एक दिन भी रिक्त नहीं रहती है। ऐसे में 30 जनवरी से पहले सभापति या प्रोटेम स्पीकर का नाम फाइनल हो जाएगा। 100 सदस्यीय उच्च सदन में वर्तमान में समाजवादी पार्टी के 55 सदस्य हैं। चार सीटें गंवाने के बावजूद पार्टी के पास 51 सीटें बचेंगी। वहीं, 07 नये सदस्यों की जीत बाद विधान परिषद में बीजेपी के 32 सदस्य ही रहेंगे। परिषद में दलीय सदस्यों का आंकड़ा देखते हुए भाजपा फिलहाल सभापति के चुनाव से बचना चाहेगी। ऐसे में सभापति के पद के लिए उसके सामने मनोनयन का रास्ता है, जिस पर भाजपा के चलने की संभावना ज्यादा है। राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए सत्तारूढ़ दल की पसंद के ही व्यक्ति का ही प्रोटेम सभापति बनने की संभावना अधिक है।
अभी तक उच्च सदन के वरिष्ठ सदस्यों को ही प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता रहा है, जिसे देखते हुए सपा ने अहमद हसन को उच्च सदन भेजने का फैसला किया है। हालांकि, संविधान में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि वरिष्तम सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाएगा। यह केवल परम्परा है। इसी को देखते हुए बीजेपी सत्ता पक्ष के अलावा सदन के वरिष्ठतम निर्दलीय समूह के राजबहादुर सिंह चंदेल के अलावा कुछ अन्य नाम भी चर्चा में है।
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यूपी में अब तक नौ प्रोटेम सभापति
उत्तर प्रदेश में अब तक नौ बार प्रोटेम सभापति नियुक्त किये जा चुके हैं। संवैधानिक प्रावधान है कि उच्च सदन में सभापति का पद रिक्त नहीं रह सकता। ऐसे में परिषद किसी अन्य सदस्य को सभापति चुन लेती है। लेकिन, अगर सभापति और उपसभापति दोनों के पद रिक्त हैं तो राज्यपाल किसी सदस्य को सभापति मनोनीत कर सकता है। ऐसे सभापति को ही प्रोटेम सभापति कहा जाता है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में वर्तमान में उपसभापति का पद भी रिक्त है।
विधान परिषद में दलीय स्थिति
समाजवादी पार्टी- 55
भारतीय जनता पार्टी- 25
बहुजन समाज पार्टी- 08

कांग्रेस- 02

अपना दल (एस)- 01

शिक्षक दल- 01

निर्दलीय समूह- 02

निर्दलीय- 03

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