इस वजह से चुकानी पड़ती थी ज्यादा कीमत आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन एस. के नेतृत्व में की गई इस पड़ताल यह सामने आया है कि कंपनियां दिल्ली की तुलना में यूपी में इम्पोर्टेड शराब पर ज्यादा कीमत वसूल रही थीं। आबकारी आयुक्त का तर्क था कि आयातित ब्रांड के कस्टम से बाहर आने तक हर राज्य के लिए रेट होना चाहिए जबकि उत्तर प्रदेश और दिल्ली के रेट में फर्क था। इस कारण यूपी में शराब के शौकीनों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती थी। अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर. भूसरेड्डी के निर्देश पर हुई तहकीकात के बाद कंपनियों से बात की गई। उन्होंने बताया कि अप्रैल से अब तक प्रदेश के लोगों को भी दिल्ली के ही रेट पर इम्पोर्टेड शराब उपलब्ध हो रही है।
इन ब्रांड्स की कम हुई कीमत Glenlivet, Chivas Regal, Jameson, Ballantine’s, Aberlour और Absolut Vodka शामिल है। हालांकि, जॉनी वॉकर (Johnnie Walker) की पैरेंट कंपनी डियाजियो (Diageo) के अल्कोहल ब्रांड्स की शॉर्टेज अगले कुछ समय तक बनी रहेगी। एक अप्रैल को नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होने के साथ ही उत्तर प्रदेश में इंपोर्टेड ब्रैंड्स की शराब की किल्लत शुरू हो गई थी। लेकिन अगले कुछ दिनों में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है। इसके साथ ही लोगों को सस्ती कीमत पर प्रीमियम शराब मिलेगी।
इस तरह कम हुई कीमत विदेशी ब्रांड्स के प्राइस स्ट्रक्चर की समीक्षा करने के बाद एक्साइज डिपार्टमेंट को लगा कि राज्य में इसकी कीमत दिल्ली के मुकाबले अधिक है। इंपोर्टेड ब्रांड्स की कीमत लागत, इंश्योरेंस और फ्रेट के आधार पर तय होती है। बेसिक लेंडिंग कॉस्ट के बाद इस पर कस्टम टैरिफ लगता है। इसके बाद राज्य इस पर एक्साइज ड्यूटी लगाता है। एमआरपी तय करने से पहले कंपनियां इसमें अपना प्रॉफिट जोड़ती हैं। विभाग ने पाया कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली में एक समान ड्यूटी स्ट्रक्चर के बावजूद दिल्ली की तुलना में यूपी में कीमत अधिक है। इसके बाद शराब बनाने वाली कंपनियों को उत्तर प्रदेश में कीमतें कम करके दिल्ली के बराबर लाने को कहा गया। इस तरह से यूपी में ब्रांडेड शराब की कीमत दिल्ली में मिलने वाली शराब के बराबर होगी।