माया देवी मंदिर यूनेस्को में शामिल माया देवी मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल हैं। सम्राट अशोक ने इस स्थान के विकास में अहम योगदान दिया था। वर्ष 1896 में जनरल खडग शमशेर और डॉक्टर एंटनी फुहेर ने इस स्थान को खोज निकाला। केशर शमशेर ने वर्ष 1939 में माया देवी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। नया माया देवी मंदिर लुम्बिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट ने वर्ष 2003 में तैयार किया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, माया देवी मंदिर में छठवीं से लेकर 15वीं सदी तक के कलात्मक अवशेष हैं। इसमें 15 चौकोर चबूतरे और 5 कतारें हैं। ये सभी पूर्व से पश्चिम दिशा में बनाए गए हैं। 3 कतारें उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ बनाई गईं हैं।
लुंबिनी क्यों प्रसिद्ध है जानें लुंबिनी भगवान बुद्ध का जन्म स्थान है। लुंबिनी के जिस मंदिर में पीएम मोदी पूजा करेंगे, वो भगवान बुद्ध की मां का ही मंदिर है। मां महामाया का निधन भगवान बुद्ध के जन्म के कुछ समय बाद ही हो गया था। उस वक्त भगवान बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ का लालन-पालन उनकी मौसी गौतमी ने किया था। लुंबिनी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। लुम्बिनी नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से करीब 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास स्थित है।