राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र के महामंत्री अतुल मिश्रा कहा कि प्रदेश में स्टेट मेडिकल फैकल्टी माध्यम से चार वर्षीय डिग्री कोर्स एवं दो वर्षीय डिप्लोमा व डिग्री पाठ्यक्रम अतिविशिष्ट संस्थान एसजीपीजीआई, केजीएमयू सहित कई अन्य संस्थानों में चलाया जा रहा है। अतुल मिश्रा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ऐसे में चार वर्षीय डिग्री धारक एवं दो वर्षीय डिप्लोमा धारकों के साथ अन्याय होगा। शासन द्वारा विज्ञापन को निरस्त करते हुए फिजियोथेरेपिस्ट सेवा नियमावली के अनुसार दो वर्षीय डिप्लोमा व चार वर्षीय डिग्री धारकों की चयन प्रक्रिया में शामिल करते हुए निर्देशित किया गया था।
मिश्र ने बताया कि केंद्र व प्रदेश सरकार में समूह ग के पद की न्यूनतम शैक्षिक अर्हता परास्नातक है ही नहीं। उल्लेखनीय है कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार के माध्यम से संशोधन के लिए पीजीआई के निदेशक को निर्देशित किया गया था, लेकिन पीजीआई प्रशासन द्वारा उसको नजरअंदाज करते हुए 15 जुलाई 2023 को भर्ती संबंधी आनलाइन परीक्षा करा ली गई।
मिश्र ने मुख्यमंत्री मुख्य सचिव से अनुरोध किया है कि पीजीआई में फिजियोथेरेपी के पदों हेतु अर्हता केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा सेवा नियमावली में प्रदत्त व्यवस्था डिप्लोमा व डिग्री निर्धारित करने के उपरान्त ही नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए निर्देशित करने की कृपा करे। साथ ही संस्थान द्वारा आयोजित आनलाइन परीक्षा के परिणाम पर तत्काल रोक लगाने का कष्ट करे। जिससे उप्र में एक बड़ी वेतन विसंगति से बचा जा सके ।