scriptPGI में फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर हुई भर्ती को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद नाराज, जानिए वजह | PGI staff upset over recruitment for physiotherapist posts | Patrika News
लखनऊ

PGI में फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर हुई भर्ती को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद नाराज, जानिए वजह

शासन द्वारा विज्ञापन को निरस्त करते हुए फिजियोथेरेपिस्ट सेवा नियमावली के अनुसार दो वर्षीय डिप्लोमा व चार वर्षीय डिग्री धारकों की चयन प्रक्रिया में शामिल करते हुए निर्देशित किया गया था।

लखनऊSep 28, 2023 / 02:24 pm

Ritesh Singh

 फिजियोथेरेपिस्ट पद पर  निकले थे विज्ञापन

फिजियोथेरेपिस्ट पद पर निकले थे विज्ञापन

SGPGI के अन्तर्गत फिजियोथेरेपी पद पर नियुक्ति के लिए विगत वर्ष 2021-22 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। जिसमें शैक्षिक अर्हता तीन साल डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी मांगी गई थी। जिस पर परिषद द्वारा पुरजोर विरोध करते हुए शासन व पीजीआई प्रशासन को अवगत कराया था कि तीन वर्षीय डिप्लोमा फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम उत्तर प्रदेश में केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही संचालित हो रहा था।
फिजियोथेरेपिस्ट सेवा नियमावली का नहीं हो रहा पालन


राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र के महामंत्री अतुल मिश्रा कहा कि प्रदेश में स्टेट मेडिकल फैकल्टी माध्यम से चार वर्षीय डिग्री कोर्स एवं दो वर्षीय डिप्लोमा व डिग्री पाठ्यक्रम अतिविशिष्ट संस्थान एसजीपीजीआई, केजीएमयू सहित कई अन्य संस्थानों में चलाया जा रहा है। अतुल मिश्रा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ऐसे में चार वर्षीय डिग्री धारक एवं दो वर्षीय डिप्लोमा धारकों के साथ अन्याय होगा। शासन द्वारा विज्ञापन को निरस्त करते हुए फिजियोथेरेपिस्ट सेवा नियमावली के अनुसार दो वर्षीय डिप्लोमा व चार वर्षीय डिग्री धारकों की चयन प्रक्रिया में शामिल करते हुए निर्देशित किया गया था।
फिजियोथेरेपिस्ट पद पर निकले थे विज्ञापन

पीजीआई प्रशासन द्वारा पुन: फिजियोथेरेपिस्ट संवर्ग का पद विज्ञापित किया गया है, जिसमें न्यूनतम शैक्षिक अर्हता मास्टर इन फिजियोथेरेपी मांगी गई, जबकि एसजीपीजीआई ने बोर्ड में पास करा रखा है कि जो शैक्षिक अर्हता एम्स द्वारा निर्धारित की गई है, वही यहाँ भी लागू होगी एम्स रायबरेली द्वारा आठ जुलाई 2023 व एम्स भुवनेश्वर द्वारा एक जुलाई 2023 को फिजियोथेरेपिस्ट के पद का विज्ञापन निकाला गया है, जिसमें शैक्षिक अर्हता डिग्री मांगी गई है। अपने ही निर्णय के विपरीत जाकर भेदभाव रवैये से डिग्री व डिप्लोमा के छात्र उक्त परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित रह जाएंगे।


मिश्र ने बताया कि केंद्र व प्रदेश सरकार में समूह ग के पद की न्यूनतम शैक्षिक अर्हता परास्नातक है ही नहीं। उल्लेखनीय है कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार के माध्यम से संशोधन के लिए पीजीआई के निदेशक को निर्देशित किया गया था, लेकिन पीजीआई प्रशासन द्वारा उसको नजरअंदाज करते हुए 15 जुलाई 2023 को भर्ती संबंधी आनलाइन परीक्षा करा ली गई।
बेरोजगारों को रोजगार से किया जा रहा वंचित

16 जुलाई 2023 को मध्य रात्रि बिना पारदर्शिता किये परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया। इससे प्रदेश के हजारों फिजियोथेरेपिस्ट में काफी आक्रोश व्याप्त है। दुखद है कि प्रदेश के लिए अनेकों बार निर्देशित किया गया है। वही पर पीजीआई प्रशासन द्वारा बेरोजगारों को रोजगार से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने बताया पीजीआई प्रशासन द्वारा शासन के निर्णयों को दरकिनार करते हुए 16 जुलाई 2023 को घोषित परिणाम में चयन किये गये अभ्यर्थियों का वेरीफिकेशन कराया जा रहा है,जो कदापित उचित नहीं है। इस तरह की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की बू आ रही है।
मुख्यमंत्री से लगायी गुहार
मिश्र ने मुख्यमंत्री मुख्य सचिव से अनुरोध किया है कि पीजीआई में फिजियोथेरेपी के पदों हेतु अर्हता केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा सेवा नियमावली में प्रदत्त व्यवस्था डिप्लोमा व डिग्री निर्धारित करने के उपरान्त ही नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए निर्देशित करने की कृपा करे। साथ ही संस्थान द्वारा आयोजित आनलाइन परीक्षा के परिणाम पर तत्काल रोक लगाने का कष्ट करे। जिससे उप्र में एक बड़ी वेतन विसंगति से बचा जा सके ।

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