यूपी बेसिक शिक्षा परिषद के 1.59 लाख स्कूलों में करीब 1.80 करोड़ शिक्षा ग्रहण करते हैं। स्कूली बच्चों के लिए स्कूल यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते, मोजे और बैग आदि जल्दी से जल्दी मिल सकें इसके लिए सरकार ने पहले से चल रही योजना में तब्दीली करते हुए बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में 1100 रुपए ट्रांसफर करने की सुविधा शुरू की थी। अभी तक इन सभी चीजों की केंद्रीयकृत खरीद होती थी। इसके बाद मंडल, जनपद और फिर ब्लॉक वार इनका वितरण होता था। पर बहुत से छात्रों अभी इस सुविधा के लाभ से वंचित है। जिस वक्त ठंड की जरुरत है उस वक्त अगर स्वेटर न उपलब्ध हो तो दिक्कत होती है। क्योंकि इन स्कूली में शिक्षा ग्रहण करने वाले ढेर सारे बच्चे बेहद निम्न परिवारों से आते हैं। उनके लिए ठंड से मुकाबला करने के लिए सरकारी स्वेटर, जूते, मोजे एक बड़ा सहारा है। यूपी सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना होगा।
Opinion रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग है समय की मांग वैसे तो बेसिक शिक्षा परिषद ठंड से राहत देने के लिए छात्रों व शिक्षकों को पहली बार शीतकालीन अवकाश 31 दिसंबर से 14 जनवरी तक का दिया है। पर जरा सोचिए जिस वक्त सबसे अधिक ठंड के बारे में मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जताया है उस वक्त तक यूपी के हर एक स्कूली बच्चों के पैरों में जूते-मोजे और तन पर स्वेटर नहीं होगा। हमारे गांवों में तो हालात और खराब है। तमाम सरकारी योजनाओं के बाद ग्रामीणों क्ष़ेत्रों के छात्रों की हालात बेहद खराब है। सम्बंधित अधिकारियों को इस बारे में सचेत करें। सर्दी के मौसम में बच्चे स्कूल जाने के बारे में काफी ना नुकुर करते हैं। चाहे वो निजी स्कूल हो या सरकारी स्कूल के बच्चे सुबह सुबह पांच बजे जगकर 7 बजे का स्कूली अटेंड करते हैं। ढेर सारे निजी स्कूल अपने टाइम टेबल को लेकर अड़े रहते हैं। इसलिए सरकार को सख्ती के साथ स्कूल के टाइम में सर्दी के मौसम के अनुसार बदलाव करने का निर्देश जारी करना चाहिए। हमारे बच्चे सुरक्षित रहे इसलिए सरकार कोई चाहिए कि सबसे पहले अपनी योजना को पूरी करें। हर बच्चों को ठंड से बचाने के लिए यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते, मोजे और बैग मिल जाएं।
(संकुश्री)