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इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रितु श्रीवास्तव ने कहा कि फाइलेरिया का दूसरा नाम हाथी पाँव है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इससे बचाव का एकमात्र विकल्प फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन है। सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने ही फाइलेरिया रोधी दवाएं आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाएंगे।Video: मुस्लिम युवक ने सीएम योगी से हिंदू धर्म के मंत्र बोले और फिर
आप सब दवाओं का सेवन जरूर करें। मैं भी पिछले पांच साल से इन दवाओं का सेवन कर रही हूं। इससे मुझे कोई समस्या नहीं हुई है। यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि दवा खाने के बाद जी मिचलाना उल्टी जैसे समस्याएं होती है तो इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी थे और उनके मरने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रिया होती हैं। यह अपने आप ठीक हो जाती हैं यदि कोई समस्या है तो स्वास्थ्यकर्मी या रैपिड रिस्पांस टीम से संपर्क करना चाहिए।विश्व कैंसर दिवस: बायोप्सी जांच प्रक्रिया है, इससे कैंसर नहीं फैलता है: डा. आरके चौधरी
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी। डाईइथाइल कार्बामाजिन (डीईसी) की गोली उम्र के हिसाब से खिलाई जाएगी। दो साल से कम उम्र के बच्चों को यह गोली नहीं दी जाएगी। दो से पांच साल तक की उम्र के बच्चों को एक गोली, पांच से दस साल तक को दो गोली, 10-15 साल के लोगों को तीन और 15 साल से अधिक के लोगों को चार गोली खिलाई जाएगी।