अब तक 17 उपाध्यक्ष :- वर्ष 1937 से अब तक 17 उपाध्यक्ष हुए हैं। कई बार तो बिना उपाध्यक्ष के ही विधानसभा का पूरा कार्यकाल पूरा हो गया। भाजपा के राजेश अग्रवाल (वर्तमान में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष) विधानसभा के आखिरी उपाध्यक्ष रहे। उनका कार्यकाल मई 2007 तक रहा। अब 14 साल बाद यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया जा रहा है।
पार्टियों की रणनीतियां :- विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने रविवार को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाई थी जबकि मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक 18 अक्तूबर को सबेरे दस बजे बुलाई है। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार दोपहर दो बजे पार्टी के सभी विधायकों के संग बैठक कर चुनाव की रणनीति तैयार की है।
वर्ष 1984 में हुआ था चुनाव :- विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बताया कि, 1984 में हुकुम सिंह बनाम रियासत हुसैन के बीच उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ था उसमें हुकुम सिंह जीते थे।
समाजवादी पार्टी ने परम्परा तोड़ी :- सुरेश खन्ना संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि, विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की परंपरा है। समाजवादी पार्टी ने परम्परा को तोड़ा है। भाजपा ने तो सपा के विधायक को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा चुनाव के लिए तैयार है।
सबसे बड़े विपक्षी दल का होता उपाध्यक्ष का पद :- नरेन्द्र सिंह वर्मा नामांकन पत्र पेश करने के बाद नरेन्द्र सिंह वर्मा ने कहा कि, संसदीय परंपराओं के अनुरूप विधानसभा उपाध्यक्ष का पद सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल का होता है। जहां तक मेरी जानकारी है उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए आज तक चुनाव नहीं हुआ।
सूचना देकर नाम वापस ले सकता है :- यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान कराने का प्रावधान है। निर्वाचन के पूर्व किसी भी समय कोई भी अभ्यर्थी मौखिक या लिखित रूप से सूचना देकर अपना नाम वापस ले सकेगा।