लखनऊ. यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और दलितों की मसीहा कहे जाने वाली मायावती का
लखनऊ के माल एवेन्यु में स्थित बंगला नम्बर 9 और 13 सुर्खियों में
है। सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट
ने सरकार को तलब करते हुए पूछा कि अगली सुनवाई पर उपस्थित होकर बताये कि अब
तक इस मामले मे जवाब क्यों नही प्रस्तुत किया गया। पीठ ने राज्य सरकार व
अन्य विपक्षी गणों को निर्देश दिया है कि वह बंगलों के बावत पूरी जानकारी
लेकर अदालत को स्पष्ट करे कि एक बंगले मे कई बंगले किन परिस्थितियों मे
सम्मिलित किये गये।
कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया था कि मायावती का
बंगला नम्बर 9 सन 1936 से पहले किसी ट्रस्ट के नाम था, जो बाद में (1936)
श्री प्रकाश मिश्रा के नाम पर हुआ, जिसे बाद में सतीश मिश्रा के नाम पर कराया गया। बाद में उस
बंगले का बैनामा मायावती के नाम से हुआ। याचिका में ये भी कहा गया है
कि राज्य संपत्ति अधिकारी ने जनता के 100 करोड़ रुपये इस बंगले में लगा दिये।
याचिकाकर्ता और वकील मोतीलाल
यादव ने बताया कि उन्होंने सन 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
में ये याचिका दायर की थी। न्यायलय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य
संपत्ति अधिकारी को तलब किया है और अगली सुनवाई की तारीख 28 अक्तूबर तय की
है।
गन्ना आयुक्त का कार्यालय भी मिला लिया बंगले में
इस
याचिका में ये भी कहा गया है कि मायावती ने यूपी में अपनी सरकार के
दौरान बंगला नम्बर 13 के पास ढाई एकड़ में बने गन्ना आयुक्त के कार्यालय को
तोड़कर अपने बंगले में मिला लिया है। आरोप है कि इस पर भी राज्य संपत्ति अधिकारी ने जनता का पैसा पानी की तरह बहाया।
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