16 जिलों में नया निगम लागू
राजधानी लखनऊ में यह नियम पहले से ही लागू है। उसी तर्ज पर प्रदेश के 16 शहर भी इसमें जोड़े जाएंगे। जिनमें अलीगढ़, मेरठ, अयोध्या, आगरा, कानपुर, गोरखपुर, गाजियाबाद, वृंदावन मथुरा, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी, सहारनपुर, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, बरेली और शाहजहांपुर शामिल हैं। अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे ने इसको लेकर शासनादेश जारी किया है। जिसके मुताबिक अब बिना लाइसेंस के कोई भी कमर्शियल मॉल, थोक बाजार, बिग बाजार, स्पेंसर, जनरल मर्चेंट, किराना दुकान, गुमटी पर कोई तंबाकू उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकेगा। वहीं बिना लाइसेंस के ये उत्पाद बेचते हुए पकड़े जाने पर पहली बार 2000 रुपये जुर्माना और सामान जप्त, वहीं दूसरी बार 5000 रुपये जुर्माना लिया जाएगा।
बच्चों के लिए तंबाकू खरीदना अब नहीं होगा आसान
यूपी सरकार के इस कदम का वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी स्वागत किया है। इस कदम से यूपी के लोगों को तंबाकू से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी। इस नियम के लागू होने के बाद अब बच्चों के लिए तंबाकू उत्पादों को देखना और खरीदना भी असान नहीं होगा। सीएम योगी ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे राज्य भी उत्तर प्रदेश द्वारा स्थापित मजबूत मिसाल का पालन करेंगे और लोगों, खासकर बच्चों की तंबाकू से रक्षा करेंगे। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को एक एडवाइजरी लेटर भेजकर तंबाकू विक्रेताओं की लाइसेंसिंग नगर निगम (License for Tobacco) से कराने की सिफारिश की है।
दूसरे उत्पाद नहीं बेच पाएंगी ये दुकानें
परिवार कल्याण मंत्रालय के एडवाइजरी लेटर में कहा गया है कि लाइसेंस में यह प्रावधान शामिल करना उपयुक्त होगा कि तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानें गैर तंबाकू उत्पाद जैसे टॉफी, कैन्डी, चिप्स, बिस्कुट, शीतल पेय आदि नहीं बेच पाएंगी। इनमें खासतौर से ऐसी चीजें हैं जो तंबाकू का उपयोग करने वालों के लिए नहीं हो और खासतौर से बच्चों के लिए हो। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने भी भविष्य की पीढ़ी की रक्षा के लिए ऐसी ही एडवाइजरी सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को भेजी है और तंबाकू उत्पाद बेचने वाली ज्यादा दुकानें खोलना हतोत्साहित करने के लिए कहा है। भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा करवाए गए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 35.5% वयस्क (15 साल और ऊपर) किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं। तंबाकू के उपयोग के कारण होने वाली बीमारी की कुल प्रत्यक्ष और परोक्ष लागत 182,000 करोड़ रुपए है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 1.8% है।