राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में बनी ग्रीन कैंटीन का शुक्रवार को निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने शुभारंभ किया। सुबह से लेकर शाम तक कैंटीन में आ रहे छात्र-छात्राएं, अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षक खाने से अधिक क्रॉकरी की तारीफ करते नजर आए। प्रो. मोहन ने बताया कि ये क्रॉकरी प्लास्टिक से अधिक सुंदर, थर्माकोल से अधिक मजबूत और पूरी तरह हाइजीनिक हैं। इस क्रॉकरी में गर्म या तरल खाना किसी तरह का रिएक्शन नहीं करता है। पेय पदार्थों के लिए मिट्टी का कुल्हड़ प्रयोग किया जाएगा।
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मेडिक्लेम के साथ अब वकीलों को रिटायरमेंट पर मिलेगा 15 लाख रुपए 45 दिन में हो जाएगा बॉयोडिग्रेडबल प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि गन्ने की खोई से तैयार ये क्रॉकरी पूरी तरह बॉयोडिग्रेडेबल है। अगर इसे फेंक दिया जाए तो यह मिट्टी में 45 दिन में पूरी तरह खत्म हो जाएगी और खाद के रूप में काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस क्रॉकरी में कुछ और प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे यह मिट्टी में न सिर्फ बॉयोडिग्रेड हो बल्कि वहां एक पौधा भी तैयार हो।
चीनी मिल व रेस्टोरेंट से करेंगे वार्ता प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए चीनी मिल व रेस्टोरेंट संग वार्ता कर एक पहल करने का प्रयास होगा। चीनी मिलें गन्ने की खोई से क्रॉकरी तैयार करें और रेस्टोरेंट संचालक प्लास्टिक की प्लेटों के बजाए इसका उपयोग करें। विदेशों में इस तरह की क्रॉकरी की मांग बढ़ रही है।