इस्कॉन मंदिर की कीर्तन मंडली ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में ढोल, नगाड़ा और मृदंग बजाते हुए सड़कों पर “हरे राम-हरे कृष्णा” का जाप किया। मंडली के सदस्यों ने कहा कि वे सनातनी मूल्यों को जीते हुए क्रिसमस का आनंद ले रहे हैं। यह आयोजन केवल धार्मिक न होकर एक सामाजिक पहल भी थी, जिसमें सभी धर्मों और संस्कृतियों को साथ लाने का प्रयास किया गया।
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क्रिसमस पर धार्मिक समरसता का संदेशकीर्तन मंडली के इस आयोजन ने स्पष्ट संदेश दिया कि भले ही त्योहार किसी भी धर्म का हो, उसका उद्देश्य सभी को खुशियां बांटना और मानवता का सम्मान करना है। मंडली के सदस्यों ने कहा, “हम सनातनी होकर भी क्रिसमस को इंजॉय कर रहे हैं। यह हमारी संस्कृति की खूबसूरती है कि हम सभी धर्मों को सम्मान देते हैं और हर त्योहार को अपने तरीके से मनाते हैं।”
हजरतगंज में इस आयोजन को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी ने इस अद्भुत पहल की सराहना की। लोग कीर्तन मंडली के साथ गुनगुनाते और नाचते दिखे। कई लोगों ने इसे धार्मिक एकता और भारतीय संस्कृति की विशिष्टता का प्रतीक बताया।
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क्रिसमस का रंग हर तरफलखनऊ में क्रिसमस पर चर्चों में प्रार्थनाएं, सड़कों पर सजावट और दुकानों में भीड़ भाड़ आम बात है। लेकिन इस बार इस्कॉन मंडली के इस प्रयास ने त्योहार को एक नया आयाम दिया। लोग जहां क्रिसमस ट्री सजाने और उपहार देने में व्यस्त थे, वहीं यह मंडली अपनी पारंपरिक धुनों के माध्यम से खुशियां बांट रही थी।
इस्कॉन मंदिर के एक सदस्य ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल क्रिसमस मनाना नहीं था, बल्कि यह संदेश देना था कि हर धर्म और संस्कृति का आदर करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “हमारे समाज में विविधता है और यही हमारी ताकत है। हम चाहते हैं कि लोग इसे समझें और सभी धर्मों के त्योहारों का सम्मान करें।”
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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियोइस आयोजन का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इसे सांस्कृतिक और धार्मिक समरसता का एक अनूठा उदाहरण बता रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर इस आयोजन की तस्वीरें और वीडियो खूब शेयर किए जा रहे हैं।
यह आयोजन भारतीय संस्कृति और क्रिसमस के बीच तालमेल का एक बेहतरीन उदाहरण था। कीर्तन मंडली ने अपने संगीत और भजनों के माध्यम से यह दिखाया कि कैसे भारतीय संस्कृति में हर त्योहार को अपने अनूठे अंदाज में मनाया जाता है।
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भविष्य में और आयोजन की योजनाइस्कॉन मंदिर के सदस्यों ने कहा कि वे भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों की योजना बना रहे हैं। उनका उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देना है। लखनऊ के हजरतगंज में इस्कॉन मंदिर की कीर्तन मंडली द्वारा मनाया गया क्रिसमस केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक था। इस पहल ने यह दिखाया कि भारत की विविधता में एकता की परंपरा कितनी मजबूत है।