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पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2004 में गैंग के लोगों ने एसटीएफ के सिपाही धर्मेंद्र चौहान की हत्या कर दी। इस दौरान पुलिस की जवाबी फायरिंग में गैंग के दो बदमाश ताज उर्फ भय्यन और शकील भी मारे गए। इस दौरान रफीक समेत गैंग के अन्य बदमाश फरार हो गए।साल 2004 तक D-2 गैंग आतंक का पर्याय बन चुका था। गैंग के सरगना अतीक अहमद समेत तमाम गुर्गों की दहशतगर्दी कानपुर से बाहर आसपास के जिलों में भी बढ़ गई थी। साल 2004 किदवई नगर थाने के तत्कालीन SO ऋषिकांत शुक्ला ने एनकाउंटर में गिरोह के सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू को मार गिराया।
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मुखबिरी के शक में गैंग ने की ताबड़तोड़ पांच हत्याएंसरगना तौफीक उर्फ बिल्लू के एनकाउंटर के बाद अतीक और रफीक कई लोगों पर मुखबिरी का शक करने लगे। इसी चक्कर में गिरोह ने महज कुछ महीनों में ताबड़तोड़ हत्या की पांच बड़ी वारदातें कीं। इसमें सलीम मुसईवाला, नफीस मछेरा और कुलीबाजार की एक चर्चित महिला की हत्या में सभी नामजद हुए।
STF सिपाही धर्मेंद्र की हत्या करने के बाद रफीक और अतीक दोनों ही अंडरग्राउंड हो गए। गिरोह के लोग भी भागते फिर रहे थे। एसटीएफ सिपाही की हत्या के बाद अतीक और रफीक के सिर पर इनामी राशि बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दी गई। सर्विलांस सेल की मदद से कई महीने बाद रफीक की लोकेशन पश्चिम बंगाल के कोलकाता में मिली।
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न्यायिक रिमांड में हो गई रफीक की हत्याकानपुर में पुलिस ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर रफीक को पूछताछ और AK-47 बरामद करने के लिए रिमांड मांगी। इसके बाद पुलिस टीम रफीक को लेकर जूही यार्ड जा रही थी। रास्ते में रफीक की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। उस समय पुलिस ने इस हत्या में डी-2 गैंग के परवेज का हाथ बताया था।