आईआईटी कानपुर द्वारा बनाई गई डिवाइस गंदे पानी की अशुद्धियां को बताएगी ही साथ ही पानी को भी शुद्ध कर देगी। लोगों के लिए जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा। इस पर संस्थान के पृथ्वी विज्ञान विभाग के डॉ. इंद्रशेखर सेन, संस्थान की इंक्यूबेटर कंपनी कृत्सनम टेक्नोलॉजी के फाउंडर के श्रीहर्षा ने एमआईटी के एमिली बैरेट हैनहॉसर, डॉ. रोहित एन कार्णिक, अनास्तासियोस जान हार्ड, माइकल बोनो, चिंतन एच वैष्णव के साथ मिलकर शोध किया है। स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता दुनिया की प्रमुख समस्याओं में से एक है। 844 मिलियन लोगों के पास पानी के बेहतर स्त्रोत है। इस उपकरण से दूषित पानी का भी उपयोग किया जा सकेगा। पानी की बचत के साथ स्वच्छ और शुद्ध पानी मिल सकेगा।
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यूपी में बंद हो गए 26 हजार स्कूल, महामारी के बाद अभिभावकों ने ही नहीं भेजा स्कूल बिना बिजली के होगा इस्तेमाल संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि वैज्ञानिक विभिन्न समस्याओं को लेकर निरंतर शोध हो रहे हैं। शुद्धिकरण वेसल में एक रिजनरेबल द्रव्य होता है जो अशुद्धियों को सोखने और इसे नम या सूखे प्रारूप में संरक्षित करने में सक्षम होता है। अकार्बनिक दूषित मुक्त पानी का उत्पादन दो रुपये प्रति लीटर से भी कम लागत पर होता है। इसे बिजली के बिना भी इस्तेमाल जा सकता है और रखरखाव खर्च शून्य है। कम लागत लोगों को पानी मिल सकेगा।
ऐसे काम करेगी डिवास इंक्यूबेटर कंपनी कृत्सनम टेक्नोलॉजी के फाउंडर के श्रीहर्षा के मुताबिक इस उपकरण में एक वेसल है, जिसमें पानी स्टोर किया जा सकता है। वेसल में ऐसा सिस्टम बना है, जिससे पानी अंदर व बाहर जा सकता है। पानी को फिर एक सॉरबेंट के संपर्क में लाया जाता है। यह सॉरबेंट केमिकल एनालिट्स को सोख लेता है। यहा डिवाइस पानी को शुद्ध करने के साथ साथ यह भी बताती है कि पानी में क्या कीटाणु और अन्य क्या अशुद्धियां थी।