आईएएस बी चंद्रकला ने लिंकडिन पर पोस्ट की गई कविता के अंत में छापे को चुनावी हथकंडा बताया है। अपनी इन पंक्तियों से उन्होंने जीवन जीने का तरीका भी समझाया है। उन्होंने लिखा है, “चुनावी छापा तो पड़ता रहेगा, लेकिन जीवन के रंग को क्यों फीका किया जाए दोस्तों। आप सब से गुजारिश है कि मुसीबतें कैसी भी हो, जीवन की डोर को बेरंग ना छोड़ें।”
IAS b chandrakala की Linkedin पर पोस्ट-
मेरे प्यारे दोस्तों,
आज मैं आप से एक व्यंग्यात्मक कहानी ‘भारतीय राजनीति में एलियन इरा’ से उद्धरण साझा कर रही हूं:
“दोस्तो, भारतीय राजनीति ने फटे कुर्ते से लेकर लाखों के सूट तक के तमाम अच्छे दिन देख चुकी है, लेकिन भारतीय जवानी आज भी समस्याओं के दलदल में फंसी कराह रही है।।
राजनीति ने हमें ‘ 0=100 जानें ‘ का गणित भी सिखाया ; कालेधन का सांप दिखाते-दिखाते , मदारी ने सौ जानें ले ली । राजनीति की कॉमेडी, असल में ट्रेजडी होती है ।।
आगे लेखक कहता है , हमारा देश गांधी का देश है , गांधी मतलब , लोकतंत्र की आंधी : बदलाव की हर पटकथा , जनसैलाब ही लिखती है ।।—-अधिक से अधिक संख्या में मतदान करें,
” सुनो , ऐ सरकारें हत्यारी ,
तुम, जाने की, करो तैयारी ।।
कण-कण में हम आंधी हैं ,
हम भारत के, गांधी हैं ।।
लोकतंत्र का एक निशान ,
जन-गण-मन का करो, सम्मान ।।
लोकतंत्र की एक कसौटी ,
कण-कण फैले जीवन-ज्योति ।। “
” जमीर जो कहे, वही कर ,
जालिम कहां डरता है जो, तू किसी से डर ।।
हर तूफान को पता है, हम आसमान हैं,
वक्त की सीने पर मुकम्मल निशान हैं;
अपने रास्ते पर चल, हर रंग तेरी है,
ये धरती तेरी है, ये गगन तेरी है,
हर गुल तेरी है कि, ये गुलशन भी तेरी है ।।
जमीर जो कहे, वही कर ,
जालिम कहां डरता है जो, तू किसी से डर ।। “