दरअसल, ईंधन की झंझट से छुटकारा दिलाने के लिए रिसर्च एंड डेवल्पमेंट इनोवेशन करने वाली कंपनी सेंटियंट लैब्स ने भारत में बनी हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस लॉन्च की है। इसी की तर्ज पर यूपी में हाइड्रो फ्यूल बसों की शुरुआत होगी। हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी को सीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद)-एनसीएल (राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला) और सीएसआईआर-सीईसीआरआई (केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान) के सहयोग से इस हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नलॉजी को विकसित किया गया है।
30 किलोग्राम में 450 किमी की रेंज ये बस 30 किलोग्राम हाइड्रोजन ईंधन में 450 किमी की रेंज देती है। इसका ऑर्किटेक्चर मॉड्यूलर बेसिस पर होगा जिसका मतलब है कि ड्राइविंग रेंज और ऑपरेटिंग कंडीशन में जरूरत के अनुसार बदलाव किए जा सकेंगे। हाइड्रोजन ईंधन सेल टेक्नोलॉजी को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय रसायनिक प्रयोगशाला और केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान के सहयोग से विकसित किया गया है।
हाइड्रोजन और हवा के इस्तेमाल से चलेगी बस हाइ़ड्रोजन फ्यूल बस बनाने के लिए हाइड्रोजन और हवा का इस्तेमाल किया गया है। इसी के जरिये पॉवर जनरेट होगा। आगरा-नोएडा जैसे शहरों की आवोहवा सुधारने के लिए ये बसें ब्रम्हाशास्त्र साबित हो सकती हैं। वहीं इसके जरिए किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
कैसे काम करेगी हाइड्रोजन बस ये फ्यूल सेल वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और इसके ईंधन टैंक में भरे हाइड्रोजन के बीच केमिकल रिएक्शन कराकर बिजली पैदा करते हैं। केमिकल रिएक्शन से इन दोनों गैस के मिलने से पानी और इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट होती है।