सहमति पत्र जारी कराए गए निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म डा. रोशन जैकब ने बताया कि उपखनिज सिलिकासैंड के सात खनन पट्टों सहित कुल 40 क्षेत्रों की भी ई-नीलामी के जरिए बोलीदाताओं को सहमति पत्र जारी कराए गए हैं। सिलिकासैंड एक विशेष प्रकार की बालू है, जिसका उपयोग कांच के बर्तन, खिलौने व अन्य सजावटी सामग्री बनाने में किया जाता है। इसकी ज्यादा उपलब्धता प्रयागराज और चित्रकूट में है। इसकी आपूर्ति फीरोजाबाद सहित अन्य स्थानों में की जाती है।
देश में राक फास्फेट दुर्लभ है निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म डा. रोशन जैकब ने बताया कि सिलिकासैंड के बारे में जो सहमति पत्र जारी किए गए हैं, उनके संबंध में पट्टेधारकों को माइनिंग प्लान सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। इसके बाद ही अनुबंध पत्र जारी किए जाएंगे। इसके अलावा ललितपुर के टोरी पिसनारी क्षेत्र में मुख्य खनिज राक फास्फेट के तीन ब्लाक के टेंडर जारी करने की कार्यवाही चल रही है। राक फास्फेट का उपयोग फर्टिलाइजर बनाने में किया जाता है और यह भारत में विदेश से आयात होता है। देश में राक फास्फेट दुर्लभ है।
मौरंग भंडारण के 228 लाइसेंस जारी :- सितम्बर में उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में इस बार मौरंग भंडारण के 228 लाइसेंस जारी किए गए हैं। इनमें करीब 68.26 लाख घन मीटर मौरंग का भंडारण हुआ था। मानसून सत्र जुलाई, अगस्त व सितंबर में इन्हीं भंडारण स्थल से मौरंग व बालू बाजार में आती है। पिछले दो माह में मौरंग की केवल 35 फीसद ही उठान हुई है। अब तक लगभग 23.9 लाख घन मीटर मौरंग ही बाजार में पहुंची है। भंडार गृहों में अब भी करीब 44.36 लाख घन मीटर मौरंग बची हुई है। लाइसेंस धारकों को इसे 30 सितंबर तक खत्म करना होगा।