प्रसव के दौरान महिला की मौत
परिजनों ने लगाया स्टाफ पर पैसा लेने और लापरवाही का आरोप।
ललितपुर. स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव के दौरान मिलने वाली सुविधाओं तथा स्वास्थ्य विभाग की संजीदगी की एक बार फिर पोल खुल गई। आमतौर पर स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव कराने पर पैसों की मांग हमेशा की जाती रही है और इस बात को पीडि़त परिवारों द्वारा हमेशा उठाया गया है। मगर आज तक विभाग ने किसी भी डॉक्टर या स्टाफ कर्मी के साथ कोई कार्यवाही नहीं की। हर बार यह कहकर टाल देते हैं कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। मगर इस जांच का सच तो यह है कि ना तो कभी जांच होती है और ना ही किसी के खिलाफ कार्यवाही की जाती है। जिस तरह जिला महिला अस्पताल कई बार डॉक्टरों पर पैसा मांगने के आरोप लगे या फिर दलालों के माध्यम से उन्हें पैसा पहुंचाया गया। ठीक उसी तरह जनपद में जो स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं, उनमें भी इसी तरह की बात सामने आई है। प्रसव के दौरान जनपद में कई मौतें हो चुकी है और अस्पतालों में परिजनों ने काफी विरोध प्रदर्शन भी किया गया। मगर जिला प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी बल्कि उल्टा पीडि़त परिवारों के खिलाफ अस्पताल प्रशासन ने मामले दर्ज कराए हैं। इसी तरह का एक प्रकरण थाना बार की सरकारी अस्पताल में सामने आया है। जहां आदिवासी महिला के प्रसव के बाद अचानक मौत हो गई ।
यह है मामला
आदिवासी महिला रिंकी (19) पत्नी अवधेश सहरिया निवासी खिरिया डांग गर्भवती थी और उसकी यहां डिलीवरी होनी थी, उसके घर पर अचानक रात में उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने 102 नंबर पर फोन लगाकर एंबुलेंस को बुलाया और उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बार रात में ले आए, जहां उसे भर्ती कर लिया गया, उसके बाद उसके परिजनों से डिलीवरी के लिए पैसों की मांग की गई। परिजनों ने मांग को पूरा भी किया। परिजनों ने बताया कि उसका सुबह 6 बजे प्रसव हुआ और परिवार वालों के अनुसार फिर जच्चा की मौत हो गयी। मृतिका के परिजनों ने मेडिकल स्टाफ पर पैसे लेने का भी आरोप लगाया। परिजनों ने आरोप लगाया कि पैसे देने के बाद भी प्रसूता की देखरेख में लापरवाही बरती गई और जब प्रसूता की मृत्यु हो गई तो उसके बाद स्टाफ ने हमारे कुछ पैसे वापस भी कर दिए।
चूंकी आदिवासी सहरिया जनजाति के लोग सीधे-सादे एवं बिना पढ़े लिखे होते हैं। इसीलिए उन्हें कानून के बारे में ना तो कोई जानकारी होती है और ना ही गरीबी की अभाव के कारण वह कानूनी कार्यवाही करवाते हैं, जिसका फायदा आम तौर पर ऐसे ही लोग उठाते हैं।
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