scriptकोरोना लॉकडाउन की वजह से इस साल यहां टूट जाएगी 800 साल पुरानी परंपरा, चार से पांच करोड़ का होगा नुकसान | bahraich dargah syed salar masood ghazi urs cancelled due to coronavir | Patrika News
लखनऊ

कोरोना लॉकडाउन की वजह से इस साल यहां टूट जाएगी 800 साल पुरानी परंपरा, चार से पांच करोड़ का होगा नुकसान

बहराइच दरगाह पर 14 मई से शुरू होने वाले जेठ मेले के आयोजन पर भी रोक, कलकत्ता, बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत विदेशों से नहीं आएंगे जायरीन…

लखनऊMay 05, 2020 / 11:39 am

नितिन श्रीवास्तव

कोरोना की वजह से यहां टूट जाएगी 800 साल पुरानी परंपरा, चार से पांच करोड़ का होगा नुकसान

कोरोना की वजह से इस साल यहां टूट जाएगी 800 साल पुरानी परंपरा, चार से पांच करोड़ का होगा नुकसान

बहराइच. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानव सभ्यता के सामने खतरा बनकर उभरे कोरोना वायरस की बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पूरे भारत में तीसरे लॉकडाउन की घोषणा की। लॉकडाउन में जरूरी सेवाओं और उससे जुड़े लोगों को छोड़कर बाकी लोगों से घरों पर ही रहने की अपील की गई। इस दौरान पूरे देश में लोग पूजा-पाठ, प्रार्थना, इबादत घर में ही कर रहे हैं और मंदिर, मस्जिद, दरगाह, चर्च और गुरुद्वारा समेत सारे धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए बंद हैं। यूपी के बहराइच में स्थित विश्व प्रसिद्ध सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह भी लॉकडाउन के चलते श्रृद्धालुओं के लिए बंद है। ऐसे में 800 वर्षों से लगातार हर साल होते आ रहे जेठ मेले का आयोजन भी इस साल नहीं होगा। इस मेले में देश-विदेश से बाले मियां की बरातें आती थीं। गाजे-बाजे के साथ दरगाह में एक माह रुककर जायरीन पूरी शिद्दत के साथ नजरों नियाज करते थे। लेकिन सालों पुरानी यह परंपरा लॉकडाउन के चलते इस साल टूट रही है। इस बार न तो देश विदेश से यहां बरातें आएंगी और न ही जायरीन, कोरोना संक्रमण के चलते सिर्फ रस्में निभाई जाएगी।
प्रसिद्ध सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह बहराइच जिले के एक छोर पर स्थित है। मान्यता है कि गाजी सरकार से सच्चे दिल से कुछ भी मांगने पर सामने वाले की झोली खाली नहीं रहती। यही विश्वास पिछले 800 सालों से हिंदू और मुस्लिम भाइयों में एकता की मिसाल बना हुआ। दरगाह प्रबंध समिति के अध्यक्ष शमशाद अहमद के मुताबिक जेठ मेले में कलकत्ता, बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के अलावा नेपाल व अन्य मुस्लिम बाहुल्य देशों से बड़ी संख्या में जायरीन बाले मियां की बरात लेकर दरगाह पर आते थे। इस बरात में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि हिंदू भी डालियां, पलंग पीढ़ी, चादर चढ़ाते थे। लेकिन 14 मई से शुरू होने वाले इस जेठ मेले के आयोजन पर लॉकडाउन के चलते रोक लगा दी गई है, ताकि हम सभी इस बीमारी से बचे रहें।
करोड़ों रुपये का नुकसान

दरगाह प्रबंध समिति के अध्यक्ष शमशाद अहमद ने बताया कि लॉकडाउन को देखते हुए मेले के आयोजन को टाल दिया गया है। हम लोगों ने सरकार के फैसले के साथ ही यह कदम उठाया। इस बार दरगाह पर सिर्फ खादिम परंपराओं को निभाएंगे। उन्होंने बताया कि दरगाह का मेला आस्था के केंद्र के साथ ही स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी का साधन भी है। ऐसे में मेले का आयोजन न होने से करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। साथ ही लोगों की रोजी रोटी भी प्रभावित होगी। घरेलू उत्पादों की बिक्री को झटका लगेगा। शमशाद अहमद के मुताबिक मेला न होने से दरगाह की लगभग चार से पांच करोड़ रुपये की आय को झटका लगा है।
दरगाह का नीर से बनाता है निर्मल काया

दरगाह के मौलाना अर्सदुल कादरी ने बताया कि गाजी मियां से किसी की मांगी गई दुआ कभी खाली नहीं जाती। देश के सभी धर्मों के भाई-बहन दरगाह पर मत्था टेकने के लिए आते हैं। साथ ही दरगाह के पानी से कोढ़ की बीमारी भी दूर होती है औऱ अंधों के आंखों को रोशनी मिलती है।

Hindi News / Lucknow / कोरोना लॉकडाउन की वजह से इस साल यहां टूट जाएगी 800 साल पुरानी परंपरा, चार से पांच करोड़ का होगा नुकसान

ट्रेंडिंग वीडियो