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लखनऊ

2024 में दांव पर अखिलेश की साख, पहली बार एक साथ भाई, बहू और भतीजे चुनावी मैदान में

UP Lok Sabha 2024 News: आजमगढ़ सीट से धर्मेंद्र यादव को टिकट देने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव इस बार कन्नौज सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे। अब अखिलेश यादव के सामने कन्नीज लोकसभा सीट को वापस पाने की भी इस बार चुनौती ही है।
 

लखनऊMar 18, 2024 / 08:24 am

Aniket Gupta

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UP Lok Sabha 2024 News

UP Lok Sabha 2024 News: यूपी में समाजवाद का नारा देकर जनता के बीच अपनी साख जमाने वाले नेता मुलायम सिंह यादव का सियासी कुनबा सबसे बड़ा माना जाता है। भाइयों से लेकर बेटा, बहू, भतीजे और पोते तक सियासी दंगल में दो-दो हाथ कर चुके हैं। अब उनके निधन के बाद पहली बार एक साथ सियासत का ये बड़ा कुनबा चुनावी मैदान में है। एक साथ परिवार के चार सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में अब मुलायम की नहीं, अखिलेश यादव की साख दांव पर लगी है।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने सैफई परिवार को सियासत की बुलंदियों पर पहुंचाया। खुद वो देश के रक्षा मंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री रहे। भाई प्रो. रामगोपाल यादव, पुत्रवधू डिंपल यादव, भतीजे धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव को भी उन्होंने ही संसद की सीढ़ी चढ़ाया। बेटे अखिलेश यादव को पहले संसद की राह दिखाई और फिर 2012 में यूपी का मुख्यमंत्री बनाने में अहम योगदान दिया। भाई शिवपाल सिंह यादव को भी जसवंतनगर के रास्ते विधानसभा तक का सफर तय कराया। 2014 में मुलायम सिंह यादव के साथ डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव और तेजप्रताप यादव सांसद थे, वहीं अखिलेश मुख्यमंत्री और शिवपाल यादव कैबिनेट मंत्री थे। चुनाव आते-आते ये बादशाहत मैनपुरी और आजमगढ़ सीट तक ही सिमटकर रह गई। अखिलेश ने जब सीट छोड़ी तो आजमगढ़ भी हाथ से चली गई।
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आजमगढ़ सीट से धर्मेंद्र यादव को टिकट देने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव इस बार कन्नौज सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे। हालांकि, अब तक सपा की ओर से इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अब अखिलेश यादव के सामने कन्नीज लोकसभा सीट को वापस पाने की भी इस बार चुनौती ही है। 1998 के बाद से लेकर 2014 तक ये सीट सपा के खाते में रही। यहां से मुलायम सिंह यादव खुद एक बार, अखिलेश यादव तीन बार ओर डिंपल यादव दो बार सांसद रहीं। 2019 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे सुब्रत पाठक ने उन्हें हरा दिया। इस चुनाव में अखिलेश के सामने ये सीट वापस पाने की भी चुनौती है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ही खुद यहां से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं, लेकिन इसका फैसला होना अभी बाकी है।
 

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