फौजी बनना चाहते थे अखिलेश आज भले ही अखिलेश सियासी गलियारों में चर्चित नाम हैं लेकिन अगर वे राजनीतिक परिवार से ताल्लुक न रखते, तो शायद फैज में होते। ये बातें ‘अखिलेश यादव- बदलाव की लहर’ किताब में लिखा है, जिसे लेखिका सुनीता एरन ने लिखा है।
बचपन में शरारती लेकिन दिमागी रूप से तेज थे अखिलेश युवाओं में अखिलेश यादव का क्रेज बढ़ चढ़ कर बोलता है। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा सरकार के फिर से आने का कारण अखिलेश यादव ही थे। आज कई युवाओं के आदर्श माने जाने वाले अखिलेश बचपन में शरारती और जिद्दी लेकिन बहादुर इंसान थे। ये बात इस वाक्ये से ही साबित हो जाती है जब एक बार स्कूल में सांप के आ जाने से सभी बच्चे डर गए थे लेकिन टीपू ने बहादुरी और हिम्मत से काम लेकर सांप को डंडे से मार दिया। इसके बाद वे सभी बच्चों के हीरो बन गए।
चाचा की साइकिल से जाया करते थे स्कूल स्कूल के दिनों में अखिलेश के गार्जियन चाचा शिवपाल सिंह यादव थे। यहां तक कि स्कूल से जुड़ी सारी औपचारिक्ताएं भी चाचा शिवपाल ही पूरी करते थे क्योंकि मुलायम उस वक्त अपनी राजनीति में व्यस्त थे। एक दौर ऐसा भी था जब मुलायम सिंह यादव की जान को खतरा होने की वजह से अखिलेश का स्कूल जाना बंद हो गया था। तब अखिलेश को उनकी चाची सरला घर पर ट्यूशन देती थीं। वो अलग बात है कि बचपन से किशोरावस्था में आने के बाद सियासी गलियारों में कदम रखते ही अखिलेश ने अपने चाचा का ध्यान रखना बंद कर दिया और राजनीतिक कारणों के चलते उनसे दूरी बना ली।
पॉप म्यूजिक, किताबों और फिल्मों का चस्का स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अखिलेश यादव ने सिडनी यूनिवर्सिटी से एनवायरमेंट इंजीनियरिंग में डिर्गी ली। यहां पढ़ाई के दौरान ही उन्हें पॉप म्यूजिक, किताबों और फिल्मों का चस्का लगा। लेकिन राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले अखिलेश को आखिर पिता के आदेश के सामने झुकना पड़ा, जब मुलायम ने उन्हें यूपी वापस आकर चुनाव लड़ने के लिए कहा।