भाजपा की चाल से संभले यूपी से सपा गठबंधन के कोटे से राज्यसभा के तीन उम्मीदवार जीत सकते हैं। बुधवार को सपा के समर्थन से कांग्रेस नेता रहे कपिल सिब्बल ने पर्चा भर दिया। दूसरा पर्चा सपा महासचिव राम गोपाल यादव के विश्वस्त रहे जावेद अली ने भरा। तीसरा पर्चा डिंपल यादव का तैयार था। सभी औपचारिकताएं पूरी थीं। लेकिन, इस फैसले से गठबंधन में फूट की आशंका बलवती हो गयी। रालोद प्रमुख की तरफ भाजपा डोरे डालने लगी। सपा के सहयोगी सुभासपा ने भी मुंह फुला लिया। तब फिर से अखिलेश सक्रिय हुए। भाजपा की चाल को रोकने के लिए उन्होंने डिंपल को पर्चा भरने से रोका और जयंत से बात की।
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Indian Railway: नहीं मान रही सरकार, क्या 31 मई को थमेंगे देशभर की ट्रेनों के चक्के रातभर चली गहन मंत्रणा सपा चाहती थी जयंत उसकेसिंबल पर राज्यसभा जाएं। ताकि पार्टी का आंतरिक कोरम राज्यसभा में पूरा हो सके। पर जयंत रालोद अध्यक्ष का पद छोडऩे को तैयार नहीं थे। जयंत चौधरी के खेमे से बीजेपी की तरफ भी संपर्क साधा गया। इसके बाद अचानक डिंपल यादव के पर्चा भरने की बात रुक गई। अखिलेश ने जयंत चौधरी से बात की। गठबंधन को नुकसान से बचाने पर चर्चा हुई। बीजेपी के खेल का डर से दोनों अवगत हुए। ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव की खेमेबंदी की भी बात उठी। अंतत: देर रात अखिलेश यादव ने जयंत को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया गया। रात में ही आरएलडी के एक नेता के घर रालोद के सभी विधायक पहुंचे और जयंत के दस्तावेज तैयार हुए। सुबह अखिलेश ने आरएलडी के विधायकों से मुलाकात के बाद ट्विट किया जयंत सपा और रालोद गठबंधन के राज्यसभा के संयुक्त प्रत्याशी होंगे।