कोर और रेजीमेंट के ट्रेड के आधार पर रिक्रूटर्स की ट्रेनिंग बता दें कि सेना में रिक्रूटर्स की ट्रेनिंग को लेकर जो नियम है, उसमें कोर और रेजीमेंट के ट्रेड के आधार पर रिक्रूटर्स को ट्रेनिंग दी जाती है। एक इन्फेंट्री के सिपाही की जनरल ड्यूटी (जीडी) की ट्रेनिंग नौ माह की होती है। जबकि सैनिक जीडी की 18 सप्ताह में फिजिकल ट्रेनिंग व ड्रिल पूरी होती है। ट्रेनिंग की शुरुआत रेजीमेंटल सेंटरों में चौथे ग्रेड से होती है, जिसमें रिक्रूटों को बेसिक ट्रेनिंग, ड्रिल मार्चिंग, सैल्यूटिंग जैसी ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद तीसरे ग्रेड की तीन महीने की एडवांस ट्रेनिंग होती है, जिसमें काउंटर इमरजेंसी आपरेशन और घात लगाने जैसी ट्रेनिंग दी जाती है।
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Agneepath Scheme: जौनपुर में भड़की हिंसा, उपद्रवियों ने बसों को लगाई आग, पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल चौथे और तीसरे ग्रेड की ट्रेनिंग एक साथ मिलाने की तैयारी इस ट्रेनिंग के दौरान सेना के जवानों को एके-47 जैसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। जोकि ग्रेड तीन का ही हिस्सा है। हालांकि पहले ग्रेड की ट्रेनिंग यूनिटों में दी जाती है। जिसके तहत ट्रेनिंग में चयनित रिक्रूटर्स को इन्फेंट्री स्कूल भेजा जाता है। सेना की एक प्रशिक्षण यूनिट के अधिकारी के मुताबिक, अब सेना के रिक्रूटर्स की ट्रेनिंग में बदलाव करते हुए चौथे और तीसरे ग्रेड की ट्रेनिंग एक साथ कराकर दूसरे ग्रेड के लिए सीधे यूनिट भेजने के लिए नई ट्रेनिंग का कैलेंडर तैयार किया जा रहा है। हालांकि इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। लेकिन अपने ट्रेनर को भी नए ट्रेनिंग सिस्टम के तहत तैयार करना होगा।
बता दें कि सैनिक जीडी के अलावा क्लर्क और तकनीकी ट्रेड के रिक्रूटों की ट्रेनिंग में भी बदलाव किया जाएगा। अभी एक इन्फेंट्री के क्लर्क की 20 सप्ताह की बेसिक ट्रेनिंग के बाद 32 सप्ताह की क्लर्कियल ट्रेनिंग होती है, जबकि इंजीनियरिंग कोर के जवानों की 20 सप्ताह की बेसिक ट्रेनिंग के बाद उनकी पुलों और बारुदी सुरंगों की ट्रेड के अनुसार ट्रेनिंग होती है, जो कि कुल 30 माह की तय है।