1. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बेटी को विदा करते समय मां-बाप खुशी के साथ-साथ बिछड़ने के दुख का भी अनुभव करते हैं। परंतु यदि उसी बेटी के पति की मृत्यु हो जाए और बेटी विधवा हो जाए तो माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। और इस परिस्थिति से निकल पाना उनके वश में भी नहीं होता।
2. कहते हैं कि मनचाहा और गुणी जीवनसाथी मिलना एक सौभाग्य की बात है। और ऐसा जीवनसाथी मिल जाए तो उसके साथ दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहता है। इसके विपरीत अगर किसी व्यक्ति की पत्नी झगड़ालू और घमंडी हो तो उस व्यक्ति का जीवन नर्क बन जाता है और उनके घर में अशांति तथा क्लेश का माहौल बना रहता है। जिससे परिवार के सभी लोग दुखी होते हैं।
3. चाणक्य नीति के अनुसार हमेशा जरूरतमंद और गरीब लोगों की सेवा करना ही फलदायी होता है। लेकिन को व्यक्ति किसी अधर्मी या दुष्ट व्यक्ति की संगति में रहता है या उसकी मदद करता है तो ऐसे लोगों को जीवन में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दुष्ट मनुष्य केवल अपनी भलाई के बारे में सोचते हैं और उसके लिए वे आपको भी मुसीबत में डाल सकते हैं। ऐसे लोगों की मदद करने वाले व्यक्ति को भी समाज में कोई मान-सम्मान नहीं मिलता।
4. आचार्य चाणक्य के मुताबिक यदि रोजाना किसी व्यक्ति को पोषणहीन और बेस्वाद भोजन करना पड़े तो यह भी उसके लिए एक बड़ा दुख ही है। ऐसा व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से परेशान होने के साथ ही क्रोधी हो जाता है।