शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि 12 से 15 साल की उम्र के ऐसे किशोर-किशोरियां जो प्रतिदिन 3 घंटे से ज्यादा का समय सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉम्र्स पर अपना समय बिता रहे हैं उनमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार ज्यादा देखने में मिले। ऐसे बच्चों में अवसाद, चिंता, अकेलापन, आक्रामकता या असामाजिक व्यवहार की आशंका ज्यादा थी। इनकी तुलना में सोशल मीडिया पर कम समय बिताने वाले किशोर-किशोरियों में इसके लक्ष्ण कम थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि जैसे-जैसे युवाओं का सोशल मीडिया का समय बढ़ता गया, वैसे-वैसे उनका जोखिम भी बढ़ता गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया पर प्रतिदिन छह घंटे से अधिक समय बिताने पर इन समस्याओं से जूझने वालों की आशंका चार गुना अधिक हो जाती हैं।
अनुसंधान में भाग लेने वाले 6595 अमरीकी किशोरों में से 17 प्रतिशत ने कहा कि वे सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते। जबकि 32 प्रतिशत ने हर दिन 30 मिनट या उससे कम का उपयोग करना स्वीकारा। इसी तरह 31 फीसदी ने कहा कि वे 30 मिनट से 3 घंटे तक और 12 प्रतिशत ने तीन से छह घंटे तक सोशल मीडिया से चिपके रहने की बात मानी। जबकि 8 प्रतिशत ऐसे थे जो एक दिन में छह घंटे से अधिक समय विभिन्न प्लेटफॉर्म पर बिता रहे थे।