कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस सेवा को शुरू करने के लिए २००० से ज्यादा यूजर पर सर्वे किया है। सर्वे में सामने आया कि फेसबुक की ओर से अलर्ट मैसेज भेजने पर 73 फीसदी उपयोगकर्ताओं ने कहा कि इसमें ऐसी जानकारी थी जो उन्हें अभी तक मालूम नहीं थी। वहीं 43 फीसदी ने भेजे गए अलर्ट पर तुरंत प्रतिक्रिया करते हुए कार्रवाई की। इन 2 हजार यूजर में 80 फीसदी ऐसे उपयोगकर्ता भी थे जिन्होंने स्वीकार किया कि कंपनी की ओर से भेजे गए ये अलट्र्स किसी न किसी स्तर पर काम के थे। इस सेवा का परीक्षण 2017 से किया जा रहा है। यूजर को अत्यधिक ‘अलर्ट फटीग’ से बचाने के लिए कंपनी यह सीमा भी तय कर रही है कि एक दिन में वे सूजर को कितने अलर्ट्स भेजेगी। अपने फेसबुक पेज से अलर्ट्स पाने के लिए यूजर को फेसबुक के ‘इमरजेंसी मैनेजमेंट’ या स्थानीय ‘फस्र्ट रेस्पॉन्डर’ एजेंसी को फॉलो करना होगा। कंपनी इस सेवा के लिए जल्द ही अपने प्लेटफॉर्म पर ‘न्यूजटैब’ भी उपलब्ध करवाएगी। इसमें उन सभी हालिया घटनाओं और सूचनाओं की सूची होगी जो यूजर के लिए जानना जरूरी हो। इन्हें विशेष रूप से जर्नलिस्ट तैयार करेंगे।