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कुचामन शहर

किन्नर काजू कंवर 3 जिलों की जागीरदार, यहां लगा रही बक्शीस की राशि

तीन जिलों की जागीरदार काजू कंवर गौसेवा, मानव सेवा के साथ बहुत से सराहनीय कार्य में अपना योगदान देकर कई युवतियां का कन्यादान भी कर चुकी है।

कुचामन शहरJul 26, 2024 / 02:35 pm

Akshita Deora

नर व नारी के अलावा भगवान का तीसरा दिया हुआ रूप किन्नर जिसको पुराने समय में लोग अशुभ मानते थे, लेकिन वर्तमान में किन्नर को स्त्री-पुरुष दोनों ही देव तुल्य के रूप में मान रहे हैं। जन्म, शादी के समय घर पर बुलाकर बक्शीस दे रहे हैं, तो कोई व्यवसाय के शुभारंभ पर उनसे फीता भी कटवा रहे हैं। छोटे से लेकर बड़े तक किन्नर के धोक लगाकर किन्नर का आशीर्वाद लेते हैं। कुचामन में भी किन्नर काजू कंवर राठौड़ (बुआजी) सेवा कार्यों व भामाशाह के रूप में जानी जा रही है।
तीन जिलों की जागीरदार काजू कंवर गौसेवा, मानव सेवा के साथ बहुत से सराहनीय कार्य में अपना योगदान देकर कई युवतियां का कन्यादान भी कर चुकी है।

निरंतर रूप से सामाजिक कार्यों में सकारात्मक रूप से अपना अग्रणी सहयोग कर समाज में किन्नरों की लोगों के सामने एक अलग अच्छी छवि प्रस्तुत कर रही है। इसलिए कुचामन में किन्नर काजू कंवर राठौड़ को शहर में 8 से लेकर 80 की उम्र के व्यक्ति ‘बुआजी’ के नाम से पुकारते हैं।
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काजू बुआजी ने बताया कि उनके समाज के लोग राजा-महाराजा के समय से कुचामन में निवास कर रहे हैं। पूर्व में उनके समाज के लोग आथूणा दरवाजा के पास स्थित परिसर में निवास करते थे। इन दिनों उनके समाज के लोग करणी कॉलोनी में निवास कर सेवा कर रहे है। जहां पर उन्होंने बहुचरा माँ का मंदिर भी बना रखा है। काजू बुआजी ने बताया कि उन्होंने अब तक दर्जनों जरूरतमंद परिवार की बेटियों का विवाह करवाया है। हर धार्मिक व सामाजिक कार्यों में वह आगे होकर सहयोग करते हैं।
किन्नर भगवान का दिया गया अवतार है। जिसको कुछ लोग फर्जी किन्नर बनकर बदनाम कर रहे हैं। असली किन्नर हमेशा यजमान व समाज की भलाई व मांगलिक कार्य की ही सोचता है। बच्चे का जन्म, विवाह, व्यवसाय शुभारंभ, गृहप्रवेश ऐसे मौके पर बक्शीस लेकर परोपकार के कार्य में लगाते हैं। कुछ लोग फर्जी किन्नर बनकर अश्लील हरकत कर उगाई करते हैं, उनसे सावधान रहें।
काजू कंवर राठौड़ (बुआजी) किन्नर, कुचामनसिटी

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मूक-बधिर स्कूल का उठा रहे खर्चा

काजू बुआजी स्वयं कम पढी लिखी है, लेकिन पदमपुरा रोड पर मूक बधिर स्कूल में बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराने के लिए उनका सम्पूर्ण स्कूल का खर्चा उठा रही है। उन्होंने बताया कि आज के जमाने में शिक्षित होना आवश्यक है। इसलिए मूक बधिर बच्चों को भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढने का मौका मिलाना चाहिए। इसलिए वह इन सबको पढा-लिखाकर शिक्षित भी करने का काम कर रही है।
काजू कंवर ने बताया कि उन्होंने जन सेवा को लेकर बहुत से कार्य किए हैं। इसके लिए उन्हें उपखंड स्तर पर स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर कई बार सम्मानित किया गया है। काजू कंवर सहित उनके शिष्य जयपुर, सीकर व डीडवाना-कुचामन जिले के सैकड़ों गांवों से बक्सीश लेने का कार्य करते हैं। इसमें रेनवाल, खाटू, श्रीमाधोपुर, दातारामगढ़, बाय, किशनगढ, पलसाना, नारोली, जीणमाता सहित अन्य सैकड़ों गांव शामिल है। जिनकी मालकिन ‘काजू बुआजी’ है। लोगों से मिली बक्शीस को वह जनसेवा के कार्य में लगाते है। काजू कंवर ने बताया कि उन्होंने कोरोना काल में लोगों को भोजन की व्यवस्था कराई।
पगल्या वाले बाबा मंदिर नावां में टीन शेड के साथ कमरों का निर्माण करवाया है। कुमावत समाज सामूहिक विवाह सम्मेलन में सहयोग किया। इसी के साथ देवनारायण छात्रावास, शाकंभरी माता मंदिर रोड मार्ग पर 2 हजार से अधिक पौधे लगाए हैं। विभिन्न स्कूलों में पंखा, कुर्सियां व गद्दे भेंट किए हैं। रामदेव पदयात्रा संघ में पिछले कई वर्षों से सहायता कर रहे हैं। करणी कॉलोनी में गौशाला का संचालन कर वहां 50-60 गायों की सेवा कर रहे हैं। साथ ही बेसहारा गौवंश को चारा व पानी के लिए खेलियां बनवाकर व्यवस्था कर रखी है।

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