दो करोड़ सरकारी खजाने में जमा
चन्द्रेसल मठ मंदिर के अधीन 300 बीघा जमीन और सरकार के खाते में 2 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा है, फिर भी प्रशासन की ओर से दीया-बत्ती के लिए राशि नहीं दी जाती। जन सहयोग व भामाशाहों के सहयोग में
सावन में रुद्रभिषेक व सजावट की जाती है। बजट होने के बाद भी मठ अस्तित्व खोता जा रहा है।
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मंदिर परिसर में प्राचीन कलात्मक शैली के पत्थर खिसक चुके हैं। दीवारें दरक रही हैं। एक शिवलिंग गायब है। नंदी क्षतिग्रस्त हैं। कुआं कचरे से भर गया है। मूर्तियां और कलाकृतियां इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं। यहां बने अन्य मंदिरों की भी कमोबेश यही स्थिति है। गर्भगृह और मंडल में अलंकृत दुर्गा, यम, कुबेर, वरुण, वायु और नटराज की पत्थर पर उकेरी प्रतिमाएं हैं।
हमेशा डर के साये में रहते हैं श्रद्धालु – ट्रस्ट सदस्य
चन्द्रेसल महादेव मठ ट्रस्ट सदस्य मुकुट नागर ने कहा कि चन्द्रेसल मठ में आने वाले श्रद्धालु हमेशा डर के साये में रहते हैं। आशंका रहती है कि कब कौनसा हिस्सा उनके ऊपर टूटकर गिर जाए। ठेकेदार ने अधूरा काम छोड़ दिया। प्रशासन को नए सिरे से टेंडर कर अधूरे काम को पूरा करवाना चाहिए।