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कोटा बैराज की डाउन स्ट्रीम में करोड़ों का रिवरफ्रंट विकास बहने का खतरा

कोटा बैराज के दो गेट से हो रही पानी की निकासी, ज्यादा गेट खोलने पर रिवरफ्रंट का निर्माण आ सकता है चपेट में, कोटा का चम्बल रिवरफ्रंट इसलिए भी खास हैं, क्योंकि यह यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वे खुद खड़े रहकर विकास कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। इसलिए प्रोजेक्ट से जुड़े अफसर भी किसी तरह की रिस्क लेना नहीं चाहते।

कोटाAug 02, 2021 / 11:58 pm

Kanaram Mundiyar

कोटा बैराज की डाउन स्ट्रीम में करोड़ों का रिवरफ्रंट विकास बहने का खतरा

कोटा बैराज की डाउन स्ट्रीम में करोड़ों का रिवरफ्रंट विकास बहने का खतरा

कोटा.
मध्यप्रदेश में तेज बरसात के बाद चम्बल के बांधों में पानी की भारी आवक के साथ ही कोटा प्रशासन की चिन्ता बढ़ गई हैं। चम्बल नदी की डाउन स्ट्रीम में रिवरफ्रंट योजना के तहत चल रहे करोड़ों के विकास कार्य बाधित होने एवं बहने का खतरा मंडरा गया है। कोटा का चम्बल रिवरफ्रंट इसलिए भी खास हैं, क्योंकि यह यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वे खुद खड़े रहकर विकास कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। इसलिए प्रोजेक्ट से जुड़े अफसर भी किसी तरह की रिस्क लेना नहीं चाहते। माना जा रहा है कि चम्बल रिवरफ्रंंट के संकट को टालने के लिए बैराज के फुल क्षमता से भरने से पहले ही दो गेट खोलकर 5 हजार क्यूसेक पानी की निकासी शुरू कर दी गई है। ताकि बैराज में अचानक पानी बढऩे पर डाउन स्ट्रीम को ज्यादा संकट झेलना नहीं पड़े।
जानकारों का मानना है कि चम्बल नदी पर बने बांध गांधी सागर, राणाप्रताप सागर, जवाहर सागर में पानी की ज्यादा आवक होने तथा ऊपर के बांधों के गेट खोलने पर कोटा बैराज पर पानी का दबाव अधिक बढ़ सकता है और अधिक गेट भी खोलने पड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में चम्बल नदी की डाउन स्ट्रीम में पानी की गति तेज होगी और नदी का उफान भी बढ़ेगा। इससे रिवरफ्रंट का कार्य भी चपेट में आ सकता है। नगर सुधार न्यास एवं स्मार्ट सिटी योजना से जुड़े अफसरों को यह चिन्ता सताए जा रही है कि साल 2019 की तरह चम्बल में अथाह जल आ गया तो रिवरफ्रंट के कार्यों का क्या होगा। ज्ञात है कि 2019 में चम्बल में बाढ़ आ गई थी। तब कोटा बैराज के सभी गेट खोलकर पानी की निकासी की गई थी। चम्बल नदी का पानी किनारे की कई बस्तियों में घुस गया था और हाहाकार मच गया था। जिन बस्तियों व लोगों भी उस बाढ़ का कहर झेला, वो लोग उस कहर को आज तक भुला नहीं पाए हैं। उस समय प्रशासन व बचाव दलों के हाथ-पांव फूल गए थे। कई दिनों तक बचाव व राहत कार्य चलने के बाद बस्तियों को जलभराव की परेशानी से निजात मिली थी।
लगातार बरसात ने बढ़ाई चिन्ता-
चम्बल के बांधों के कैचमेंट एरिया एवं हाड़ौती में लगातार बरसात हो रही है। सोमवार देर रात भी तेज बरसात चल रही है। कभी तेज तो कभी मध्यम दर्जें की लगातार बरसात से इससे पूरे हाड़ौती में बाढ़ के हालात बन चुके हैं। बीते एक सप्ताह से चम्बल की सहायक नदियां भी उफान पर है। ऐसे में डाउन स्ट्रीम में चम्बल उफान पर चल रही है। अब चम्बल की अप स्ट्रीम में भी पानी की आवक बढ़ गई हैं। इससे चम्बल के बांधों में पानी लगातार बढ़ रहा है। कोटा, बारां, बूंदी एवं झालावाड़ के कई इलाके जलमग्न हो रहे हैं। बारां में कई गांव टापू जैसे हालात में आ चुके हैं। कई मकान ढह गए हैं। सरकारी भवनों में पानी ही पानी आ चुका है।

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