गंभीर हालातों को देखते हुए चिकित्सा विभाग हर साल माइक्रो प्लान के तहत हाई रिस्क एरिया घोषित करता है। कोटा शहर में करीब 12 कॉलोनियां ऐसी हैं, जो हर साल हाईरिस्क जोन में रहती हैं। इनमें कोचिंग एरिया की कॉलोनियां भी शामिल हैं। जहां बड़ी संख्या में कोचिंग स्टूडेंट डेंगू पॉजिटिव मिलते हैं। इन क्षेत्रों से हर साल 200 से 400 डेंगू मरीज सामने आते हैं। डेंगू के विशेष अभियान के समय हाई रिस्क एरिया में होने वाले सर्वे में वॉलंटियर्स की सेवा भी ली जाती है। विभाग हर साल 60 से अधिक वॉलंटियर्स की ड्यूटी हाई रिस्क एरिया में लगाता है। इसमें लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं।
हाईरिस्क जोन में ये इलाके
- डीसीएम
- गोविंद नगर
- विज्ञान नगर
- संजय नगर
- भीमगंजमंडी
5.बोरखेड़ा - दादाबाड़ी-शिवपुरा
- छावनी-रामचन्द्रपुरा
- तलवंडी-इन्द्र विहार
- महावीर नगर
- कुन्हाड़ी
- अनंतपुरा
- नयापुरा
डेंगू को लेकर शहरवासियों को जागरूक होने की जरूरत है। अपने घरों में रखे कूलर व कबाड़ की सफाई करें। आसपास के इलाके को साफ रखें। पानी भराव वाले स्थान पर जला तेल डाल दें। जिन इलाकों में सबसे ज्यादा मरीज मिलते हैं, वहां चिकित्सा विभाग हर साल माइक्रो प्लान बनाकर कार्य करता है। स्टाफ के अलावा सर्वे में वॉलंटियर्स की सेवा भी ली जाती है, ताकि डेंगू को काबू किया जा सके।
- डॉ. जगदीश सोनी, सीएमएचओ, कोटा